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Tender Scam: बिहार में कंपनियों ने टेम्पर्ड दस्तावेजों से हड़पे करोड़ों के प्रोजेक्ट, ED कर रही जांच

बिहार में टेंडर घोटाला मामले की जांच ईडी कर रही है। ईडी अब तक डेढ़ दर्जन से अधिक कंपनियों की नगर विकास विभाग से जानकारी मांग चुकी है। पढ़ें अमिताभ ओझा की रिपोर्ट...

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Rakesh Choudhary Updated: Jul 31, 2025 10:10
Bihar tender scam 2025
बिहार में टेंडर घोटाला (Pic Credit-Social Media X)

Bihar tender scam 2025: बिहार में एक बार फिर टेंडर घोटाले की परतें खुलती जा रही हैं। इस बार जांच की कमान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के हाथों में है। मामला सिर्फ पुराने टेंडर घोटालों का नहीं, बल्कि वर्तमान में भी नियम-क़ानून को ताक पर रखकर कंपनियों को मनमाने ढंग से ठेके देने का है। ईडी अब तक डेढ़ दर्जन से अधिक कंपनियों से संबंधित जानकारी नगर विकास विभाग से मांग चुकी है। लेकिन इसके बावजूद टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी रुकने का नाम नहीं ले रही। दस्तावेजों में टेम्परिंग कर कई कंपनियां करोड़ों के ठेके ले रही हैं, और विभाग मूकदर्शक बना हुआ है।

बुडको की भूमिका पर सवाल

बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (बुडको), जो राज्य में शहरी विकास से जुड़ी योजनाओं को लागू करता है, इन दिनों खासा चर्चा में है। बुडको के माध्यम से शहरों के आधारभूत ढांचे से जुड़े करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट आवंटित किए जाते हैं, लेकिन आरटीआई के जरिए हुए खुलासे ने इस व्यवस्था की नींव पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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मार्च 2024 में गुजरात इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (GIDC) से आरटीआई के तहत वर्क ऑर्डर नंबर NAO/CO/JHG/945.DT 08/02/2022 की जानकारी मांगी गई थी । 15 मार्च को GIDC के चीफ ऑफिसर द्वारा भेजे गए जवाब के मुताबिक, यह काम Jalaram Projects Pvt. Ltd. Ahmedabad द्वारा किया गया था, जिसकी कुल राशि 20,84,20,069/- रुपये थी।

7 करोड़ रुपये की टेम्परिंग

लेकिन जब यही कंपनी बिहार में बुडको के टेंडर में भाग लेती है, तो जमा किए गए दस्तावेजों में इस वर्क का मूल्य 27,94,63,961/- रुपये दर्शाया गया है। यानि दस्तावेजों में करीब 7 करोड़ रुपये की टेम्परिंग साफ नजर आती है। बुडको के लोक सूचना पदाधिकारी द्वारा आरटीआई के तहत उपलब्ध कराए गए कागजातों के अनुसार, कंपनी ने फॉर्म 3(A) में फर्जी आंकड़े प्रस्तुत किए।

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दूसरी कंपनी भी शक के घेरे में

Jalaram Projects Pvt. Ltd. अकेली ऐसी कंपनी नहीं है। M/S Dev Construction ने आगरा स्मार्ट सिटी लिमिटेड के वर्क ऑर्डर 857/ASOL/2018-19 Dt. 1/3/2019 में जॉइंट वेंचर के तहत काम किया था। लेकिन बिहार में बुडको से ठेका लेते वक्त इसी काम को स्वतंत्र क्रेडेंशियल बताया गया। इसके अलावा कंपनी ने कई अन्य कागजातों में भी हेरफेर की। फिलहाल यह कंपनी बिहार में कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर कार्यरत है।

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उठते सवाल और चुप्पी साधे अधिकारी

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर किसके संरक्षण में ये कंपनियां नियमों की धज्जियां उड़ाकर ठेके पा रही हैं? क्या इसके पीछे किसी टेंडर माफिया का गठजोड़ तो नहीं है?

बुडको के वरिष्ठ अधिकारी इस मसले पर बोलने से बच रहे हैं। लेकिन हाल में आईएएस अधिकारी संजय हंस और रिशु श्री से जुड़े मामलों ने पहले ही विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए थे। आरटीआई से मिले इन दस्तावेजों ने यह साफ कर दिया है कि घोटाले का यह जाल कितना गहरा और व्यापक है। अब देखना होगा कि ईडी की जांच इन तमाम अनियमितताओं तक पहुंच पाती है या नहीं।

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First published on: Jul 31, 2025 10:10 AM

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