Tejashwi Yadav on ASHA workers: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में सियासी गर्मी लगातार बढ़ती जा रही है। आज सीएम नीतीश कुमार ने बड़ी घोषणा करते हुए आशा और ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि बढ़ाकर डबल कर दी। अब आशा और ममता कार्यकर्ताओं को हर महीने 3000 रुपये मिलेंगे। अब सीएम नीतीश के फैसले को लेकर विवाद शुरू हो गया है। तेजस्वी यादव ने प्रेस वार्ता कर सीएम के फैसले पर निशाना साधा है।
तेजस्वी यादव ने कहा कि मैंने 17 महीने स्वास्थ्य मंत्री रहते आशा और ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी जोकि अंतिम स्टेज में थी। तब तक सरकार और मुख्यमंत्री पलटी मार गए। ये एनडीए की निकम्मी सरकार दो साल तक इस फैसले पर कुंडली मारकर बैठी रही। अब इन लोगों को आखिरकार आशा और ममता कार्यकर्ताओं की प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की मांग के सामने भी झुकना ही पड़ा।
हमारी मांग माननी पड़ेगी
तेजस्वी ने आगे कहा कि यहां सरकार ने चालाकी करते हुए हमारी इस मांग को पूर्णरूपेण लागू नहीं किया। इनको प्रोत्साहन राशि नहीं बल्कि मानदेय मिलना चाहिए। हम इन्हें मानदेय देंगे। अब इस सरकार को आंगनवाड़ी सेविका/सहायिका और रसोइयां के मानदेय में भी बढ़ोतरी करने की हमारी मांग को भी मजबूरन मानना ही पड़ेगा। हमारे 17 महीनों के अल्प कार्यकाल में ही हमने विकास मित्र, शिक्षा मित्र/टोला सेवक, तालीमी मरकज और पंचायती राज जनप्रतिनिधियों का मानदेय बढ़ाया था।
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अपनी भी अक्ल लगाओगे?
हमारी मांगों, घोषणाओं, वादों, इरादों और दावों को देखकर इस नकलची, थकी-हारी, दृष्टिहीन और विजन रहित सरकार का डर देखकर अच्छा लगता है। ये डर अच्छा है लेकिन 20 साल तक क्या ये मूंगफली छील रहे थे? यही सरकार, इनके नेता-मंत्री और अधिकारी जो हमारी घोषणा का मखौल उड़ाते थे वो अब सत्ता जाते देख दौड़ रहे है। सब कुछ तेजस्वी का ही नकल करोगे या अपनी भी अक्ल लगाओगे?
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