RJD internal rift Tejashwi vs Tej Pratap: लालू यादव के बड़े बेटे और हसनपुर विधायक तेज प्रताप यादव ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। इस दौरान उन्होंने पीले रंग की टोपी भी पहन रखी थी। हालांकि उन्होंने ऐलान किया कि वे राजनीतिक पार्टी लॉन्च नहीं करेंगे। फेसबुक पर उन्होंने टीम तेज प्रताप नाम से एक पेज बनाया है और युवाओं से जुड़ने की अपील की है। उन्होंने ऐलान किया है कि वे वैशाली जिले की महुआ सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। महुआ से फिलहाल आरजेडी के मुकेश कुमार विधायक हैं। उन्होंने 2020 में जेडीयू की आश्मा परवीन को पिछले चुनाव में 13 हजार से अधिक वोटों से हरा दिया था। ऐसे में आइये जानते हैं तेज प्रताप यादव आरजेडी को कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं?
तेज प्रताप यादव को उनके पिता और आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इसके बाद अब टीम तेजप्रताप नाम से उन्होंने नई टीम बनाने का ऐलान किया है। जोकि आने वाले चुनाव में अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ती हुई नजर भी आएगी। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी तेज प्रताप यादव जहानाबाद और शिवहर सीट से अपने करीबियों को चुनाव लड़ाना चाहते थे। टिकट को लेकर खूब इधर-उधर घूमे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके जहानाबाद सीट से उनके करीबी चंद्र प्रकाश यादव ने चुनाव लड़़ा।
परसेप्शन की लड़ाई पड़ सकती है भारी
इस दौरान उन्होंने चंद्र प्रकाश यादव के समर्थन में जमकर प्रचार किया। चंद्रप्रकाश को उन्होंने लालू यादव का बेटा तक बता दिया। परिणाम यह हुआ कि यहां से जेडीयू के चंद्रेश्वर प्रसाद 1751 वोटों से चुनाव जीत गए। चुनाव के बाद कहा गया कि अगर तेज प्रताप अपना प्रत्याशी नहीं उतारते तो आरजेडी चुनाव जीत जाती। राजनीति परसेप्शन का खेला होता है। चुनाव से ऐन पहले जो कुछ भी हो रहा है वहीं सब कुछ दिमाग में भी रहता है। ऐसे में परसेप्शन की लड़ाई में लालू यादव पिछड़ सकते हैं इसका फायदा जेडीयू और बीजेपी को मिला।
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नुकसान पहुंचा सकते हैं तेज प्रताप
2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए और इंडिया के बीच जीत-हार का अंतर सिर्फ 11 हजार वोट ने किया। ऐसे मे अगर तेज प्रताप यादव 4-5 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारते हैं तो ये तेजस्वी यादव के लिए बड़ा झटका होगा। बता दें कि इससे पहले लालू यादव के सीएम रहते सुभाष और साधु यादव का जमकर उत्पात था। इसके बाद लालू यादव ने दोनों को पार्टी से निकाल दिया था। इसके बाद साधु और सुभाष यादव ने पार्टी को नेस्तनाबुद करने का दावा किया था लेकिन कुछ नहीं हुआ। ऐसे में अगर तेज प्रताप महुआ से और अपने समर्थकों को चुनाव लड़ाते हैं तो ये तेजस्वी के लिए किसी बुरे सपने जैसा हो सकता है।