मुजफ्फरपुर से मुकुल कुमार की रिपोर्ट : एक बारह साल के बच्चे ने न केवल खुद को चाइल्ड ट्रैफिकिंग वालों के कब्जे से मुक्त कराया। बल्कि उस बच्चे की चालाकी और सूझ-बूझ से सोलह अन्य बच्चे भी बाल तस्करों के कब्जे से मुक्त कराए गए।
मुजफ्फरपुर स्टेशन पर नाबालिग ने किया इशारा
दरअसल बुधवार को मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ एवं जीआरपी की संयुक्त चेकिंग चल रही थी। संयुक्त अभियान के दौरान जब गाड़ी संख्या 12407 कर्मभूमि एक्सप्रेस मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म संख्या 02 पर आकर खड़ी हुई, तो देखा कि उक्त गाड़ी की एक बोगी में कुछ बच्चे सहमे हुए हैं। एक छोटा बच्चा रुक-रुककर पांच व्यक्तियों के तरफ इशारा कर रहा हैं।
पुलिस ने शक होने पर की पूछताछ
बच्चे द्वारा बार-बार इशारा करने पर पुलिस ने संदेह के आधार पर पांचों व्यक्तियों को 16 बच्चों के साथ मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म नंबर 2 पर उतार लिया।
पांच तस्कर गिरफ्तार
पूछताछ के क्रम में 16 बच्चों में से कुछ बच्चों के द्वारा बताया गया कि पांचो व्यक्ति उनके घरवालों को कुछ पैसों का प्रलोभन देकर अमृतसर (पंजाब) काम कराने के लिए लेकर जा रहे थे। पांचों व्यक्ति द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं देने पर पांचों बाल तस्करों को बाल तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है ।
बिहार और बंगाल के हैं बाल तस्कर
रेल प्रशासन द्वारा गिरफ्तार बाल तस्करों में रेनू सिन्हा, उम्र 34 वर्ष पिता जीत मोहन सिंह ग्राम कंडलबारी तुंगी दिगी जिला उत्तर दिनाजपुर, पश्चिम बंगाल थाना करंडीगी। इन्कारू सिंह, उम्र 35 वर्ष पिता जीत मोहन सिंह निवा निवासी जिला उत्तर दिनाजपुर पश्चिम बंगाल थाना करंडीगी। मोहम्मद फारुख, उम्र 26 वर्ष पिता शमशेर अली जिला कटिहार बिहार। हीरालाल सदा, उम्र 26 वर्ष पिता महेश सदा जिला खगड़िया, बिहार। मिथिलेश कुमार यादव, उम्र 26 वर्ष पिता सुनील लाल यादव जिला मधुबनी, बिहार को गिरफ्तार किया गया।
सोलह बाल मजदूर हुए मुक्त
पुलिस ने इनके कब्जे से 16 बालकों को सुरक्षित मुक्त कराने में सफलता प्राप्त की। ठंड के मौसम में इन बच्चों को सुरक्षित रखने हेतु रेलवे चाइल्ड हेल्पलाइन मुजफ्फरपुर को सुपुर्द कर दिया गया।
सीमावर्ती इलाकों में तस्करों का गिरोह हैं सक्रिय
रेल डी एस पी अतनु दत्ता ने बताया की बिहार, झारखंड और बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में बाल तस्करी करने वाले गिरोह सक्रिय हैं। जो गरीबी का फायदा उठाकर छोटे-छोटे नाबालिग बच्चों के माता पिता को नौकरी का झांसा देकर बच्चों को बाल मजदूरी के लिए ले जाते हैं। रेल प्रशासन समय-समय पर इनके विरुद्ध विशेष अभियान भी चलाती है। जबकि रूटीन जांच में इन बातों का विशेष ख्याल रखा जाता है ।
जयपुर, दिल्ली और पंजाब है मुख्य ठिकाना
बातचीत के दौरान सामाजिक संगठन के सदस्य ने बताया की इन नाबालिग बच्चों को नौकरी के नाम पर राजस्थान के जयपुर में जड़ी का काम करने या दिल्ली में एजेंसी के सहारे बड़े बड़े कोठियों में चौका बर्तन मांजने के काम पर लगाया जाता है।