बिहार राजनीति में दिलचस्पी कम होने का नाम नहीं ले रही है। बिहार में दो चरण में विधानसभा चुनावों का ऐलान हुआ। एनडीए और महागठबंधन में कड़े मुकाबले की उम्मीद थी लेकिन नतीजे उम्मीदों से बेहद अलग आए। इसके बाद एनडीए के पास पूर्ण बहुमत के बाद सीएम के पद के दूसरा रोचक पल। खैर कई कयासों के बाद सीएम की गद्दी पर नीतीश कुमार ही बैठे। इसके बाद बात मंत्रियों को विभाग देने की आई। इसमें 20 सालों में पहली बार नीतीश कुमार से गृह मंत्रालय छिनने की रोचक घटना रही। गृह मंत्रालय बीजेपी के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के पास आ गया। इससे बिहार की राजनीति में फिर नया दिलचस्प मोड़ आ गया।
बिहार में सीएम और गृह मंत्री भले ही एक ही गठक के हों लेकिन दोनों अलग अलग दल से हैं। हरियाणा में साल 2022 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और गृहमंत्री अनिल बिज के बीच कई विवाद खुलकर सामने आए थे, जबकि दोनों बीजेपी के नेता थे। बिहार में दोनों पद पर अलग अलग पार्टी के नेता विराजमान है। ऐसे में बिहार में हरियाणा से ज्यादा स्थिति खराब होने की शंका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बिहार में कैसे दोनों विभागों में मतभेद हो सकते हैं, आइए हरियाणा के उदाहरण से समझते हैं….
सुरक्षा पर विवाद-
किस व्यक्ति को कितनी और किस श्रेणी की सुरक्षा देनी है, यह गृह मंत्रालय तय करता है। 7 फरवरी 2022 को हरियाणा जेल प्रशासन ने राम रहीम को 3 सप्ताह की फरलो मंजूर की थी। फरलो पर जेल से बाहर आने पर राम रहीम को जेड प्लस सुरक्षा दी गई थी। एडीजी सीआईडी ने गृह मंत्रालय से मिले इनपुट के आधार पर रोहतक कमिश्नर को पत्र लिखकर सुरक्षा मांगी थी। जबकि राम रहीम की फरलो के विरोध में पंजाब हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। निष्पक्ष विधानसभा चुनाव पर सवाल उठे।
पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार से जवाब तलब किया। तब सरकार ने कहा कि उन्हें राम रहीम की फरलो और जेड प्लस सुरक्षा की कोई जानकारी नहीं है। गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि राम रहीम को जेड प्लस सुरक्षा की जानकारी उन्हें नहीं है। कहा कि न तो मेरे पास फरलो की कोई फाइल आई है और ना ही उनके पास राम रहीम की सिक्योरिटी को लेकर कोई जानकारी। गृह मंत्री अनिल विज ने ये भी कहा था कि खुफिया विभाग मुख्यमंत्री के पास है। बिहार में भी कई बाहुबली हैं। ऐसे में यहां भी इस तरह के विवाद देखने को मिल सकते हैं।
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IPS ट्रांसफर विवाद-
मुख्यमंत्री मनोहर लाल और गृहमंत्री अनिल विज IPS ट्रांसफर विवाद को लेकर आमने-सामने आ चुके हैं। एक बार मुख्यमंत्री ने गृहमंत्री अनिल बिज की सहमित के बिना एक आईपीएस अधिकारी को परिवहन विभाग का प्रिंसिपल सेक्रेटरी नियुक्त किया। बिहार पहले से ही ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर चर्चा में रहता है।
जांच एजेंसी में विवाद-
हरियाणा में गृहमंत्री अनिल विज अक्सर पुलिस अधिकारियों के नॉन पुलिसिंग कामों में तैनाती को लेकर सवाल उठाते रहे थे। जबकि सीएम खट्ट के विचार अलग थे। एक बार हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने पुलिस भर्ती परीक्षा आयोजित की। इसका पेपर लीक हो गया। मामले में भी सीएम और गृहमंत्री के बीच मतभेद हुए। गृह मंत्री अनिल विज मामले की जांच सीबीआई से कराने की बात कही, जबकि सीएम पुलिस जांच पर अड़े रहे।
DGP पर विवाद-
राज्य में डीजीपी पुलिस का मुखिया होता है। सीएम समेत मंत्री इस पद पर अपने पक्ष का व्यक्ति बैठाना चाहते हैं। एक बार सीएम खट्टर और अनिल विज के बीच पूर्व डीजीपी मनोज यादव के सेवा विस्तार देने को लेकर विवाद हुआ था। सीएम मनोहर लाल डीजीपी को सेवा विस्तार नहीं देना चाहते थे, वहीं गृहमंत्री अनिल विज उनका कार्यकाल बढ़ाना चाहते थे। मामला दिल्ली तक पहुंचा था। इस मामले पर गृह मंत्री अनिल विज ने केंद्रीय नेतृत्व से भी बातचीत की थी
CID पर विवाद-
हरियाणा में सीएम मनोहर लाल खट्टर और गृह मंत्री अनिल बिज के बीच सीआईडी विभाग को लेकर भी कई बार विवाद देखने में आया। गृहमंत्री अनिल विज सीआईडी विभाग पर ज्यादा हक रखते लेकिन विभाग मुख्यमंत्री की निगरानी में था। विवाद ज्यादा बढ़ा तो सीएम ने विभाग अपने पास रख लिया। सीएम से जब दिल्ली से ज्यादा सवाल जवाब हुए तो उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सर्वे-सर्वा हैं।
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