Fake Videos Case: सुप्रीम कोर्ट से YouTuber मनीष कश्यप को झटका लगा है। मनीष की ओर से एक याचिका दायर किया गया था जिसमें बिहार और तमिलनाडु में उनके खिलाफ दर्ज तीन एफआईआर को मर्ज करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत उसकी हिरासत को रद्द करने की याचिका पर भी विचार करने से इनकार कर दिया और राहत के लिए हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया।
मनीष कश्यप पर तमिलनाडु में बिहारी प्रवासी कामगारों पर हमले दिखाने वाले फर्जी वीडियो के कथित प्रसार को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत आरोप लगाए गए हैं। गिरफ्तारी के डर से कश्यप ने मार्च में बिहार में चंपारण पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था, जब पुलिस की कई टीमें उसकी तलाश में थीं।
Supreme Court directs YouTuber Manish Kashyap to move concerned High Court with his plea challenging detention order under NSA and other various FIRs registered against him. pic.twitter.com/hr5gsevCcp
— ANI (@ANI) May 8, 2023
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YouTuber के खिलाफ आरोपों को ध्यान में रखते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि आपके पास एक स्थिर राज्य है, तमिलनाडु जैसा राज्य। आप अराजकता फैलाने के लिए कुछ भी सर्कुलेट कर रहे हैं। हम इसपर विचार नहीं कर सकते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुनवाई शुरू होते ही CJI चंद्रचूड़ की मौखिक टिप्पणी के साथ शुरू हुई। उन्होंने पूछा कि क्या करना है? आप नकली वीडियो बनाते हैं।
अदालत में कश्यप के वकील मनिंदर सिंह ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल ने उन वीडियो को समाचार पत्रों के लेखों और मीडिया रिपोर्टों के आधार पर बनाया था। कश्यप के वकील के मुताबिक मुख्यधारा के उन अखबारों को भी एनएसए के तहत हिरासत में लिया जाना चाहिए।
क्या है कश्यप के खिलाफ मामला?
मनीष कश्यप पर आरोप है कि उन्होंने एक वीडियो अपलोड किया जिसमें बिहार के प्रवासी मजदूरों को कथित तौर पर तमिलनाडु में परेशान किया जा रहा है। वीडियो ने हजारों व्यूज बटोरे। जब मामला तूल पकड़ा तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कथित हमलों की जांच की मांग की. इसके बाद कश्यप बिहार और तमिलनाडु पुलिस के रडार पर थे।
उस समय तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य में प्रवासी श्रमिकों के उत्पीड़न के आरोपों का खंडन किया था। उन्होंने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को भी आश्वस्त किया था कि कार्यकर्ताओं को निशाना नहीं बनाया गया।