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हत्या हुई पिस्टल से, कोर्ट में पेश किया देसी कट्टा…रुपेश हत्याकांड की पुलिस जांच में क्या-क्या खामियां?

Bihar Crime News: रुपेश हत्याकांड में पुलिस की जांच थ्योरी में काफी झोल मिले। जिसके कारण केस साबित नहीं हो सका। पुलिस की जांच के बाद गृह मंत्रालय ने भी तारीफ की थी। मेडल दिया, लेकिन जांच कोर्ट में फेल हो गई। इस मामले की जांच में और क्या-क्या खामियां मिलीं? आइए जानते हैं।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Aug 7, 2024 16:51
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Bihar crime news

Bihar Crime: (अमिताभ कुमार ओझा, पटना) बिहार की राजधानी पटना में 12 जनवरी 2021 को हुए चर्चित हत्याकांड के जिस मामले में बेहतरीन जांच के लिए पुलिस को केंद्रीय गृह मंत्री का विशेष पदक मिला था। उसी मामले में कोर्ट ने बड़ा झटका दे दिया। कोर्ट ने इस हत्याकांड के आरोपियों के खिलाफ पटना पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए चारों को बरी कर दिया। इंडिगो एयरलाइंस के पटना स्टेशन के मैनेजर रुपेश सिंह की हत्या मामले में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने माना कि पुलिस के पास आरोपियों के खिलाफ कोई भी पुख्ता सबूत नहीं है। पुलिस ने चार्जशीट में जो थ्योरी दी है, वह गलत है। कोर्ट ने मुख्य आरोपी ऋतुराज के साथ-साथ सौरव, पुष्कर और आर्यन जायसवाल को भी बरी कर दिया। इस फैसले से पटना पुलिस की जांच पर कई सवाल उठने लगे हैं।

सदमे में परिवार, असली कातिल कौन?

क्या रुपेश हत्याकांड में सफेदपोशों को बचाने के लिए इन चारों को मोहरा बनाया गया? क्या एक सोची समझी साजिश के तहत रुपेश के हत्यारों को बचाकर इन चारों को जेल भेजा गया? कोर्ट के फैसले के बाद रुपेश सिंह के परिवार वाले भी सदमे में हैं। रुपेश सिंह की पत्नी नीतू सिंह ने कहा कि उन्हें न्याय चाहिए। उन्हें जो सुरक्षा गार्ड मिले थे, उनमें से भी एक को हटा लिया गया है। न्यूज24 से बात करते हुए नीतू सिंह ने कहा कि यदि इन चारों ने हत्या नहीं की तो असली कातिल कौन है? 12 जनवरी 2021 को रुपेश सिंह की हत्या पटना के शास्त्रीनगर थाना क्षेत्र के पुनाई चक में उनके अपार्टमेंट के सामने कर दी गई थी। रुपेश पटना एयरपोर्ट पर इंडिगो एयरलाइंस के मैनेजर थे। लेकिन रुपेश का रसूख कई नौकरशाहों से लेकर बड़े-बड़े नेताओं तक था।

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यही वजह थी कि रुपेश हत्याकांड को लेकर पटना पुलिस पर काफी दबाव था। वारदात को पेशेवर अपराधियों ने अंजाम दिया था, लेकिन किसके इशारे पर हत्या हुई? इसको लेकर कई सवाल उठ रहे थे। इस बीच पटना पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए ऋतुराज, पुष्कर, सौरव और आर्यन जायसवाल को गिरफ्तार कर अपनी थ्योरी बता दी थी। पुलिस के अनुसार ऋतुराज की बाइक से रुपेश की टक्कर हुई थी। दोनों में झड़प हुई, जिसका बदला लेने के लिए ऋतुराज ने अपने साथियों के साथ मिलकर रुपेश की हत्या करवाई। पुलिस ने इस मामले में 350 पेजों का आरोप पत्र दाखिल किया था। इसके अलावा 100 सीसीटीवी फुटेज कोर्ट में दी गईं।

सवाल…किसको बचा रही है पुलिस?

पुलिस ने दावा किया था कि आरोपियों के खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस के तहत भी कई सबूत हैं। लेकिन कोर्ट ने किसी सबूत को सही नहीं माना। जो हथियार बरामद कर कोर्ट में पेश किया गया था, उसकी बैलिस्टिक रिपोर्ट मैच नहीं हुई। पुलिस को पिस्टल की गोली मिली थी, जबकि कोर्ट में पेश किया गया था देसी कट्टा। अब सवाल उठता है कि जब इतने बड़े और चर्चित मामले में पुलिस की जांच ऐसी होती है तो फिर अन्य मामलों का हाल क्या होता होगा? सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर किसको बचाने के लिए इतना बड़ा झूठ कोर्ट में बताया गया? जांच के बाद पटना पुलिस के तत्कालीन सिटी एसपी विनय तिवारी सहित पुलिसकर्मियों को डीजीपी की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्री का विशेष पदक भी प्रदान किया गया था।

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SOURCES
HISTORY

Written By

Parmod chaudhary

First published on: Aug 07, 2024 04:51 PM

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