CM Nitish Kumar: बिहार में नीतीश कुमार ने 10वीं बार सीएम पद की शपथ लेकर नया राजनीति में नया अध्याय रच दिया है। पिछले चुनाव में एनडीए में नीतीश कुमार की सबसे ज्यादा सीटें थीं तो सीएम बने, इस बार बीजेपी की सबसे ज्यादा सीटें हैं, तभी भी सीएम नीतीश कुमार ही बने। सुशासन बाबू कहे जाने वाले नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के चाणक्य बन चुके हैं। लेकिन उनकी राजनीति की शुरुआत इतनी आसान नहीं थे। पहली बार जब नीतीश कुमार बिहार के सीएम बने तो महज 7 दिनों में ही इस्तीफा देना पड़ गया था। तब माना जा रहा था कि नीतीश का करियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया, लेकिन नतीजा सबकी सोच से उलट निकला।
बात 3 मार्च 2000 की है। राबड़ी देवी का कार्यकाल खत्म हुआ था। समता पार्टी से नीतीश कुमार पहली बार सीएम बने थे। लेकिन दुर्भाग्य से यह कार्यकाल सिर्फ 7 दिन ही चला। मतलब उनका डेब्यू खराब रहा। नीतीश कुमार के पास बहुमत नहीं था। चुनाव में NDA के पास 151 और लालू यादव खेमे के पास 159 विधायक थे। यानी दोनों ही बहुमत से नीचे। संख्या पूरी न होने पर नीतीश कुमार को इस्तीफा देना पड़ा। 10 मार्च को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
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11 मार्च को लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी ने फिर सीएम पद की शपथ ली। राबड़ी ने कार्यकाल पूरा किया। इसके बाद फिर साल 2005 में फिर चुनाव हुए, तब तक नीतीश कुमार जनता दल (यूनाइटेड) पार्टी बना चुके थे। इसके बाद शानदार कम बैक करते हुए नीतीश कुमार दो बार बिहार के सीएम बने।
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साल 2005 की जीत से नीतीश की शानदार शुरुआत हुई। नीतीश कुमा ने बिहार की छवि बदलने के लक्ष्य पर काम करना शुरू किया। सड़कों का विस्तार, गांवों में बिजली, महिलाओं को मजबूत बनाने वाली योजनाएं और शिक्षा में सुधार करते हुए सरकार चलाई। इससे नीतीश की छवि काफी मजबूत हुई। उसी समय से नीतीश ‘सुशासन बाबू’ कहे जाने लगे।










