बिहार में राजधानी जलाशय को इको टूरिज्म और संरक्षण स्थल के रूप में विकसित करने की योजना को हरी झंडी मिल गई है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की सचिव वंदना प्रेयषी ने बताया कि इंतजार की घड़ियां समाप्त हुई। लंबे वक्त से इसे संवारने की लगातार कोशिश हो रही थी और अब इसके लिए करीब 7 से 7.5 करोड़ रुपये की योजना स्वीकृत की गई है। इस परियोजना के तहत जलाशय के सौंदर्यीकरण, जैव विविधता संरक्षण और पर्यावरण-संवेदनशील जोन के रूप में विकसित करने पर जोर दिया जाएगा। आईएएस अधिकारी वंदना प्रेयषी ने अपने एक्स पोस्ट पर भी यह जानकारी साझा की है।
Nestled in heart of Patna, next to Main Secretariat is Rajdhani Jalashay – a home to both perennial & migratory birds. We @DEFCCOfficial have sanctioned a comprehensive project worth ₹ 7.12 cr for habitat development, nature interpretation centre & ecotourism facilities. https://t.co/gH3ij9gZdQ
---विज्ञापन---— Bandana Preyashi (@BandanaPreyashi) March 29, 2025
इंटरप्रिटेशन सेंटर का भी होगा निर्माण
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार करना है, जिससे उनकी संख्या में बढ़ोतरी हो सके। इसके अलावा पर्यटकों के लिए इंटरप्रिटेशन सेंटर भी बनाया जाएगा, जहां वे स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
ग्रीन जोन विकसित करने पर विशेष ध्यान
बिहार सरकार पूरे राज्य में ग्रीन जोन विकसित करने पर विशेष ध्यान दे रही है। नवादा और सीतामढ़ी समेत अन्य जिलों में भी नए पार्कों और ग्रीन जोन का विकास किया जा रहा है। साथ ही आर्द्रभूमियों (वेटलैंड्स) के संरक्षण के लिए भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन प्रयासों से न केवल पर्यावरण संतुलित रहेगा बल्कि इको टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम के रूप में पार्कों और ग्रीन जोन का निर्माण कृत्रिम फेफड़ों (आर्टिफिशियल लंग्स) की तर्ज पर किया जा रहा है। ये हवा की गुणवत्ता को सुधारने और प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद करेंगे। इससे क्षेत्र में स्वच्छ और शुद्ध हवा बनी रहेगी, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभकारी होगी।
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व को भी मिलेगी नई दिशा
पर्यावरण संरक्षण की इस पहल में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के विकास के लिए भी योजना स्वीकृत की गई है। इससे वहां के वन्यजीव संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। आने वाले वक्त में यह क्षेत्र पक्षी प्रेमियों, प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनेगा। इससे न केवल जैव विविधता का संरक्षण होगा बल्कि स्थानीय पर्यटन और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।