मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक ने बिहार के धार्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। सीतामढ़ी जिले में स्थित माता जानकी की जन्मस्थली पुनौराधाम के विकास को लेकर करोड़ों का प्लान मंजूर हुआ। यह प्लान बिहार की इकोनॉमी को भी नया आयाम देगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस फैसले की जानकारी खुद सोशल मीडिया मंच ‘X’ पर साझा करते हुए बताया कि पुनौराधाम का विकास अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तर्ज पर किया जाएगा। जानकी मंदिर के भव्य निर्माण को लेकर उन्होंने व्यक्तिगत रूप से खुशी जताई और कहा कि शिलान्यास की डेट जल्द घोषित की जाएगी।
धार्मिक पर्यटन का केंद्र बनेगा बिहार
इस परियोजना का उद्देश्य महज एक मंदिर निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बिहार को धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने का एक महत्त्वाकांक्षी प्रयास है। प्रस्तावित जानकी मंदिर परिसर में धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटक सुविधाओं का समावेश होगा, जो इसे देशभर के श्रद्धालुओं के लिए आकर्षक गंतव्य में बदल देगा।
स्थानीय रोजगार और आर्थिक समृद्धि का साधन
नीतीश सरकार का मानना है कि आस्था आधारित पर्यटन से राज्य की अर्थव्यवस्था को सीधा लाभ मिलेगा। मंदिर निर्माण और उससे जुड़े बुनियादी ढांचे के विकास से होटल, परिवहन, स्थानीय हस्तशिल्प, गाइड सेवाएं और अन्य सेवा क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
‘आस्था से अर्थव्यवस्था’ तक का विजन
यह योजना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उस दीर्घकालिक दृष्टिकोण को दर्शाती है जिसमें बिहार को सिर्फ विकासशील राज्य नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और आर्थिक प्रगति का संगम बनाने की सोच शामिल है। उनके मुताबिक, धार्मिक आस्था केवल एक इमोशनल सब्जेक्ट नहीं, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक सशक्तीकरण का प्रभावशाली जरिए भी बन सकती है। पुनौराधाम के विकास का यह महायज्ञ बिहार के सांस्कृतिक आत्मगौरव को नई ऊंचाई देने के साथ-साथ प्रदेश को आर्थिक रूप से भी सशक्त करेगा। यह परियोजना साबित करेगी कि जब सरकार आस्था और आधुनिकता को संतुलित करती है, तब विकास बहुआयामी, आध्यात्मिक भी और आर्थिक भी होता है।
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