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अजब गजबः मुजफ्फरपुर में बेटियों को नहीं मिलता तिल का प्रसाद, तिल दान की है परंपरा

मुजफ्फरपुर, मुकुल कुमार : मकर संक्रांति में दो दिन शेष हैं । इसी महीने की 14 तारीख को संक्रांति मनाई जाएगी। मुजफ्फरपुर जो बाज्जीकांचल का इलाका है, यहां इस पर्व को बज्जिका में तिलसकरात के नाम से बुलाते हैं । और पढ़िए –भारतीय खाद्य निगम से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में CBI की कार्रवाई; पंजाब, दिल्ली, हरियाणा […]

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Jan 11, 2023 15:55
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Makar Sakranti Festival

मुजफ्फरपुर, मुकुल कुमार : मकर संक्रांति में दो दिन शेष हैं । इसी महीने की 14 तारीख को संक्रांति मनाई जाएगी। मुजफ्फरपुर जो बाज्जीकांचल का इलाका है, यहां इस पर्व को बज्जिका में तिलसकरात के नाम से बुलाते हैं ।

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कई दिन पहले से होती है तैयारी

तिलसकरात के लिए मुजफ्फरपुर बाज्जीकांचल के लोग एक सप्ताह पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं। इस दिन तिल, गुड़, लाई और खिचड़ी का विशेष महत्व होता है। हर घर में लाई और तिलकुट बनाने की तैयारी शुरू हो जाती है ।

किसान खेतों में उपजे अनाज का करते हैं उपयोग

मुजफ्फरपुर के गांवों में आज भी किसान परिवार के लोग अपने खेतों में उपजे धान का चियुड़ा (चूड़ा) घर पर ही तैयार करते हैं। अपने खेतों का तिल और गुड़ मिलाकर लाई और तिलकुट का निर्माण एक सप्ताह पहले से शुरु हो जाता है। हर घर से इन पकवानों की सोंधी महक आनी शुरू हो जाती है ।

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पर्व का पौराणिक और वैज्ञानिक आधार

मान्यता है की इसी तिथि को सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होता है इसीलिए पूरे देश में इस पर्व को मनाया जाता है। दूसरी सोच यह है की अत्यधिक ठंड के मौसम के बाद संक्रांति के दिन से तिल जितनी गर्मी वातावरण में आ जाती है। इस दिन तिल और गुड़ खाने से मनुष्य के शरीर में गर्मी आ जाती है जो बदलते मौसम में शरीर को संतुलित रखने का काम करता है।

तिल, चावल और गुड़ चढ़ता है कुल देवता पर

मुजफ्फरपुर के लोग सुबह सवेरे अपने कुलदेवता पर तिल गुड़ और चावल का प्रसाद चढ़ाते हैं। घर के सभी सदस्य सुबह- सुबह स्नान कर तिलकट भरते हैं। दरअसल तिलकट भरने का मतलब बेटे और बहू द्वारा यह संकल्प लेना होता है, की वे अपने परिवार के बड़े बुजुर्गों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन जिंदगी भर करते रहेंगे ।

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बेटियों को नहीं मिलता तिलकट

एक मान्यता के अनुसार बेटियों को शादी कर दूसरे घर जाना निश्चित होता है। इसलिए बेटियों की जिम्मेवारी अपने ससुराल के प्रति बन जायेगी ऐसा सोचकर बेटियों को तिलकट भरने से दूर रखा जाता है। जबकि बेटे और बहू की जिम्मेवारी घर के बुजुर्गों के प्रति अधिक होती है इसलिए इन्हें तिलकट भरने की परंपरा का निर्वहन करना पड़ता है।

खास भोजन का है पर्व

संक्रांति एक खास भोजन का पर्व माना जाता है। सुबह स्नान करने के बाद चूड़ा,दही, गुड़ और कोहड़ा की सब्जी भोजन में मिलती है। साथ में तिल का तिलकुट, लाई अनिवार्य रूप से भोजन में शामिल होती है। जबकि रात में खिचड़ी बनाया जाती है। कुछ लोग सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को ही खिचड़ी बनाते हैं ।

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Written By

Rakesh Choudhary

First published on: Jan 11, 2023 12:53 PM

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