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बिहार

ब्राह्मणों के प्रवेश पर रोक लगाने वाला पोस्टर वायरल, बिहार के यादव बहुल गांव में विवाद

Motihari News: उत्तर प्रदेश के इटावा में यादव कथावाचक के साथ हुई बदसलूकी मामले का विवाद अब बिहार तक पहुंच गया है। बिहार के पूर्वी चंपारण जिले से एक चौराहे पर लगा पोस्टर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। चलिए जानते हैं कि इस पोस्टर में आखिर ऐसा क्या है? पढ़ें मोतिहारी से अरविन्द कुमार की रिपोर्ट...

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Pooja Mishra Updated: Jun 30, 2025 12:03
Motihari News (4)
ब्राह्मणों के प्रवेश पर रोक (News24 GFX)

Motihari News: उत्तर प्रदेश के इटावा में हाल में एक यादव पुरोहित को ब्राह्मणों द्वारा पूजा करवाने से रोके जाने की घटना के बाद देशभर में जातीय असमानता को लेकर बहस छिड़ गई है। इसी कड़ी में अब बिहार के पूर्वी चंपारण जिले से एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां नेपाल सीमा से सटे आदापुर प्रखंड के टिकुलिया गांव में ब्राह्मणों के प्रवेश पर सार्वजनिक रूप से रोक लगाने की कोशिश की गई है।

गांव में लगे पोस्टर और चेतावनी

गांव के मैन चौक-चौराहे और बिजली के पोल पर पोस्टर के अलावा पेंट से भी लिखा गया कि ‘इस गांव में ब्राह्मणों का पूजा-पाठ वर्जित है, उल्लंघन पर दंड मिलेगा।’ इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इसमें एक युवक खुद को इस अभियान का अगुवा बता रहा है।

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कौन है इस विवाद के पीछे?

इस पूरे मामले में मंदीप यादव नामक युवक सामने आया है, जो स्वयं को यूट्यूबर बताता है और अपने फेसबुक पेज तथा यूट्यूब चैनल पर लगातार वीडियो साझा कर रहा है। मंदीप ने पोस्ट में दावा किया है कि उत्तर प्रदेश के इटावा में एक यादव पुरोहित के साथ हुए अपमान से व्यथित होकर उन्होंने यह कदम उठाया है। उन्होंने इसे ब्राह्मणवाद के खिलाफ सांस्कृतिक प्रतिकार बताया।

प्रशासन और राजनीतिक प्रतिक्रिया

अब तक प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई औपचारिक कार्रवाई नहीं हुई है। हालांकि, बिहार सरकार में गन्ना एवं उद्योग मंत्री कृष्णनंदन पासवान ने इस घटना को निंदनीय बताया है। उन्होंने कहा कि ब्राह्मणों को वेद और संस्कृति की गहरी जानकारी होती है। किसी भी जाति या वर्ग को पूजा-पाठ से रोकना गलत है। ऐसी हरकतें समाज को तोड़ने का काम करती हैं।

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यह भी उल्लेखनीय है कि रक्सौल विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के प्रमोद सिन्हा विधायक हैं। अब यह देखना होगा कि प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।

सामाजिक तनाव का संकेत

इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि जातीय असमानता और पुरोहित परंपरा को लेकर समाज में गहरी खाई बनी हुई है। उत्तर प्रदेश की घटना पर जवाबी प्रतिक्रिया में उठाया गया यह कदम न केवल सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचा सकता है, बल्कि कानून व्यवस्था की दृष्टि से भी चुनौती बन सकता है।

First published on: Jun 30, 2025 12:03 PM

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