Bihar Chunav Manthan 2025: मंथन 2025 के मंच से भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी ने बेबाकी से अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि बिहार के नेताओं की पहचान उनकी जाति से होती है. कोई ओबीसी कहता है, कोई एससी एसटी कहता है, किसी का वोट मुस्लिम है, किसी का वोट हिंदू है. हिंदू में सब आ जाते हैं. अगड़ों की बात कोई करता ही नहीं है. मैं बिहार में क्षत्रिए समाज से आता हूं. अगर बिहार में एक साधारण सा व्यक्ति अगर 100 रुपये कर्ज लेता है, तो उसका भी गारंटी खोजता है और गांव देहात में जाने के बाद राजपूत समाज के लोगों ने बड़े स्वर में यह कहा कि हमारा गारंटर कौन है? हम तो 5 साल के लिए वोट दे देते हैं और हमारा भी तो गारंटर चाहिए. मैं अपने मित्रों को कहता हूं कि साहब पटना हवाई अड्डे पर उतरिएगा तो वहां से जब चलिएगा तो सबसे पहले दिखेगा चिराग पासवान साहब का पोस्टर. थोड़ा दूर और लगा होता था उपेंद्र कुशवाहा जी की पार्टी का पोस्टर. थोड़ा दूर और जीतन राम मांझी जी का पोस्टर दिखेगा. उसके आगे तेजस्वी यादव का पोस्टर दिखेगा. इसी प्रकार से पोस्टर है, लेकिन राजपूतों का पोस्टर बिहार में या पटना में आज तक कभी नहीं दिखा तो शायद यही जो कमी है उसको मैं पूरा कर रहा हूं.
चाहता हूं राजपूत समाज के 3 प्रतिशत वोट एनडीए को मिलें
बिहार में भाजपा पर ये आरोप लगता रहा है कि बीजेपी अगड़ों के लिए कुछ नहीं करती. मैंने अपने समाज से शुरुआत कर दी है. मैं इसका दायरा बढ़ाना चाहूंगा और मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं हम लोग बिहार में राजपूत समाज को यह बताने का कोशिश कर रहे हैं कि हम आपके गैरेंटर बन सकते हैं तो शायद यही एक कोशिश है. जिसके माध्यम से राजपूत समाज के 3% वोट बीजेपी या एनडीए की तरफ करने की एक मुहिम भी हो सकती है.
संसद में राहुल गांधी से हाथ मिलाने के सवाल पर क्या बोले
संसद में राहुल गांधी से हाथ मिलाने के सवाल पर राजीव प्रताप रूडी कहते हैं कि पार्लियामेंट के भीतर तो सबसे मुलाकात होती है और मैं थोड़ा सोशल हूं. मेरी मुलाकात सबसे होती है. हाथ अगर उन्होंने मिला लिया तो राजनीति में वो तो सामने लोकसभा में सामने बैठते हैं एक दूसरे के। पता नहीं आप लोग और कल तो किसी पत्रकार ने कह दिया कि कांग्रेस पार्टी में रूडी जी जा रहे हैं क्योंकि हाथ मिला लिया. मुझे लगता है इस विश्लेषण को थोड़ा छोटा करना चाहिए पार्लियामेंट में और मेरी मुलाकात सिर्फ उनसे नहीं होती है. सभी पॉलिटिकल पार्टी के लोगों से मैं हाथ मिलाता हूं. चाहे वो डीएमके का हो या एआईडीएमके का हो या टीडीपी का हो या टीएमसी का हो। मेरी मुलाकात सबसे होती है.