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बिहार

OBC या अति पिछड़े…आखिर क्या है बिहार के कर्पूरी ठाकुर को Bharat Ratna देने के मायने?

Karpoori Thakur Bharat Ratna Political Impact: कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के भाजपा के फैसले के बिहार की राजनीति के लिए क्या मायने हैं? कहीं यह भाजपा का कोई दांव तो नहीं, आइए जानते हैं...

Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Jan 24, 2024 11:43
Bharat Ratna Karpoori Thakur
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के भाजपा के फैसले के कई मायने निकाले जा रहे हैं।

Karpoori Thakur Bharat Ratna Bihar Quota Politics: बिहार में 1978 में ठाकुरों की कोटा नीति, OBC कोटा लागू करने वाले समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत रत्न देने का ऐलान किया है, लेकिन इस फैसले के बाद बिहार की सियासत में चर्चाओं का बाजार गर्म है, क्योंकि एक तरफ जहां बिहारवासी इस अवार्ड के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जता रहे हैं।

वहीं उनके इस फैसले को लोकसभा चुनाव 2024 जीतने के लिए भाजपा और मोदी का मास्टर स्ट्रोक कहा जा रहा है। चर्चा है कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर भाजपा बिहार के पिछड़े और OBC वोट बैंक को साधन चाहती है। ऐसे में भाजपा और मोदी राज में कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने के कई मायने निकाले जा रहे हैं।

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ठाकुर समाज, कर्पूरी के समर्थक, पिछले, OBC खुश

कर्पूरी ठाकुर समाजवादी नेता रहे हैं, जिन्होंने समाज के पिछड़े और गरीब वर्गों के लोगों को संगठित करने में अहम भूमिका निभाई। ऐसे में कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने से उनके समर्थक, बिहार के पिछड़े और गरीब वर्ग के लोग काफी खुश हैं, जिसका फायदा उन्हें लोकसभा चुनाव 2024 में मिल सकता है।

कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का फैसला आया भी उस वक्त है, जब बिहार में जाति जनगणना हो चुकी है। ऐसे में भाजपा को बिहार की कई जातियों का वोटबैंक मिल सकता है। इस दायरे में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार भी आते हैं, क्योंकि दोनों आज राजनीति के दिग्गज कर्पूरी ठाकुर के कारण ही कहलाते हैं।

 

बिहार में 36 फीसदी अति पिछड़ा वर्ग

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, कर्पूरी ठाकुर अति पिछड़ी नाई जाति से हैं। बिहार में 36 फीसदी आबादी अति पिछड़ी जातियों की हैं। जातीय जनगणना 2023 के अनुसार, कर्पूरी ठाकुर की जाति की बिहार की राजनीति में 1.59 प्रतिशत योगदान रखती है। अति पिछड़ों में नाई के साथ-साथ लोहार, कुम्हार, बढ़ई, कहार, सोनार समेत 114 जातियां आती हैं। यह जातियां आज भी बिहार में आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़ी हुई हैं।

ऐसे में कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने से बिहार में OBC कैटेगरी की राजनीति पर अति पिछड़ों की राजनीति भारी पड़ सकती है। अति पिछड़ों के वोट भाजपा के खाते में जा सकते हैं। इसलिए भारत रत्न के फैसले को भाजपा का मास्टर स्ट्रोक कहा जा रहा है। बिहार में अति पिछड़ों और OBC में पटती नहीं है। ऐसे में भाजपा का कर्पूरी को भारत रत्न देना गेमचेंजर साबित हो सकता है।

First published on: Jan 24, 2024 11:19 AM

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