---विज्ञापन---

बिहार

विधायक या केंद्रीय मंत्री…, चुनाव लड़ने को लेकर पत्ते नहीं खोल रहे चिराग पासवान, सस्पेंस बरकरार

चिराग पासवान केंद्र में मंत्री रहेंगे या नहीं इस पर फिलहाल कुछ समय और सस्पेंस रह सकता है। इसकी वजह चुनाव का ऐलान है। चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद ही वह बिहार के सियासी रण में उतरने को लेकर कोई निर्णय ले सकते हैं।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Rakesh Choudhary Updated: Jun 3, 2025 17:01
Chirag Paswan Bihar Election 2025
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान (Pic Credit- ANI)

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान एक बार फिर राजनीतिक सुर्खियों में हैं। कभी 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ ताल ठोककर चर्चा में आए, फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में शानदार जीत दर्ज कर पहली बार केंद्रीय मंत्री बने। और अब 2025 के बिहार चुनाव से पहले वह अपने गृह राज्य में सक्रिय राजनीति में उतरने के संकेत दे रहे हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या चिराग पासवान केंद्रीय मंत्री का पद छोड़ने की तैयारी में हैं?

चिराग पासवान ने 9 जून 2024 को मोदी 3.0 सरकार में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री के रूप में शपथ ली थी। लेकिन ठीक एक साल बाद वह बिहार की राजनीति में लौटने की संभावनाएं टटोल रहे हैं। क्या इसका मतलब यह है कि उन्हें केंद्र की राजनीति रास नहीं आ रही या फिर बिहार की सत्ता में भागीदारी का सपना उन्हें दिल्ली से ज्यादा लुभा रहा है?

---विज्ञापन---

2020 में की थी ये गलती

2020 के बिहार चुनाव में चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारे थे। इस कदम ने भले ही उन्हें सत्ता से दूर रखा, लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को नुकसान पहुंचाया। नतीजा यह हुआ कि रामविलास पासवान के निधन के बाद केंद्र में उनकी जगह चाचा पशुपति पारस को मिल गई और चिराग को दिल्ली का सरकारी आवास भी छोड़ना पड़ा।

समय बीता, भाजपा से रिश्ते सुधरे और 2024 में उन्होंने फिर जोरदार वापसी की, सभी सीटों पर जीत और केंद्रीय मंत्रिमंडल में एंट्री। लेकिन अब वह फिर से बिहार में सक्रिय राजनीति में उतरने की सोच रहे हैं।

---विज्ञापन---

मुख्यमंत्री पद की दावेदारी कर सकते हैं चिराग

अगर चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव लड़ते हैं और जीतकर मंत्री बनते हैं, तो यह कदम उन्हें राज्य की राजनीति में स्थायी जगह दिला सकता है। उनका बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट विजन भी जमीन पर उतारने का मौका मिलेगा। साथ ही अगर एनडीए की सरकार बनी और उन्हें मंत्री बनाया गया, तो भविष्य में वे खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में भी पेश कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री होना खुद में एक बड़ा राजनीतिक लाभ है। इससे चिराग को राष्ट्रीय पहचान, निर्णय लेने की ताकत और देशव्यापी प्रभाव मिला है। बिहार सरकार में मंत्री बनने से यह दायरा सीमित हो जाएगा।

केंद्र और राज्य के मंत्री पद में क्या अंतर?

केंद्रीय मंत्री (सांसद) ₹1.24 लाख मासिक वेतन, ₹2500 प्रतिदिन भत्ता, असीमित रेल और हवाई यात्रा, दिल्ली में सरकारी बंगला, 50 हजार यूनिट बिजली, 40 लाख लीटर पानी और फ्री कॉल्स जैसी सुविधाएं मिलती हैं। बिहार सरकार के मंत्री ₹65,000 मासिक वेतन, ₹70,000 क्षेत्रीय भत्ता, ₹3500 दैनिक भत्ता, यात्रा भत्ता और पटना में सरकारी आवास जैसी सीमित सुविधाएं पाते हैं।

स्पष्ट है कि केंद्र सरकार के मंत्री पद का रुतबा और सुविधाएं बिहार सरकार के मंत्री पद से कहीं अधिक हैं। बिहार की राजनीति जातीय समीकरणों, अस्थिर गठबंधनों और वरिष्ठ नेताओं के दबावों से भरी हुई है। ऐसे में चिराग के लिए राज्य की राजनीति में खुद को स्वतंत्र और मजबूत नेता के रूप में स्थापित करना आसान नहीं होगा।

ये भी पढ़ेंः प्रशांत किशोर की बढ़ीं मुश्किलें, नीतीश कुमार के मंत्री ने दर्ज कराया मुकदमा, जानें क्या है पूरा मामला?

चिराग पासवान के सामने दो रास्ते हैं

दिल्ली की राष्ट्रीय राजनीति में मजबूत भूमिका निभाना या बिहार की सत्ता में अपनी जड़ें जमाना। अगर वह बिहार की राजनीति में उतरने का फैसला करते हैं, तो यह कदम उन्हें सीमित कर सकता है। लेकिन अगर रणनीति सही रही, तो यह उन्हें मुख्यमंत्री पद की ओर भी ले जा सकता है। फिलहाल, संकेत यही हैं कि चिराग कोई जल्दबाज़ी में फैसला नहीं लेने वाले। केंद्र की राजनीति के फायदे और बिहार की सियासी जमीन की हकीकत को समझकर ही वह आगे की रणनीति तय करेंगे।

ये भी पढ़ेंः ‘पत्नी मर गई या तलाक हो गया, शादियां होती हैं’, तेज प्रताप के समर्थन में आए RJD सांसद ने लालू यादव से क्या लगाई गुहार?

First published on: Jun 03, 2025 05:01 PM

संबंधित खबरें