Bihar Chunav 2025 seat sharing controversy : बिहार में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान खुलकर कुछ नहीं बोल रहे. चिराग बीते दिन जब दिल्ली से पटना लौटे तो ‘अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी’, या ‘जीना है तो मरना सीखो’, सरीखे बयान बगावत के संकेत दे रहे हैं. बता दें कि चिराग अभी भी 35 सीटों पर अड़े हैं, जबकि बीजेपी के तरफ से 25 सीट तक ऑफर दी जा चुकी है. अब चिराग पासवान ने पार्टी की आपात बैठक बुलाई है, जिसमें कोई बड़ा फैसला सामने आ सकता है. समझने वाली बात यह है कि बिहार में चिराग पासवान NDA के लिए क्यों जरूरी हैं? अगर चिराग पासवान हटते हैं तो क्या समीकरण बनते हैं?
2020 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों को पहले देखें
बिहार में 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की पार्टी लोजपा ने एनडीए से अलग होकर 136 सीटों पर चुनाव लड़ा था. अधिकतर उम्मीदवार जेडीयू प्रत्याशियों के खिलाफ उतारे थे. इससे एनडीए का वोट बैंक बंटा और जेडीयू ने 27 सीटें गंवाईं और नीतीश की पार्टी की सीटें 71 से घटकर 43 हो गई थीं. दोबारा यही स्थिति बनी तो जेडीयू को फिर 20 से 30 सीटों का नुकसान हो सकता है. चिराग पासवान को साथ रखना जरूरी है. उनके हटने से न सिर्फ वोट बैंक का नुकसान होगा, बल्कि आंतरिक कलह भी बढ़ सकती है, जिसका फायदा विपक्ष को मिलेगा.
2024 लोकसभा चुनाव में लोजपा ने सभी 5 सीटें जीतीं
चिराग पासवान की पार्टी लोजपा को 2024 लोकसभा चुनाव में एनडीए ने पांच सीटें दी थीं, जिसमें पार्टी ने सभी पांच सीटों पर जीत हासिल कर अपनी ताकत का अहसास करवाया था. यह पांच सीटें NDA की कुल 30 सीटों में महत्वपूर्ण हैं. चिराग पासवान अब उन्हीं लोकसभा क्षेत्र के तहत आते विधानसभा क्षेत्र की टिकटें मांग रहे हैं. सूत्र बताते हैं चिराग ने 35 सीटें मांगी हैं, लेकिन भाजपा उन्हें 25 सीटें ऑफर कर रही है. अगर वे हटते हैं तो NDA को बहुमत का आंकड़ा 122 सीटों के लिए अलग विकल्प तलाशने होंगे.
बिहार में चिराग पासवान की ताकत क्या?
बिहार में पासवान समुदाय की नौ फीसदी आबादी NDA का कोर वोटर है. चिराग पासवान के हटने से 3-5% वोट बंट सकता है, खासकर उत्तरी-पूर्वी बिहार के अंतर्गत आते समस्तीपुर, वैशाली, हाजीपुर में. वहीं, भाजपा के दलित वोट बैंक को भी तगड़ी सेंध लग सकती, क्योंकि चिराग पासवान युवा-दलित इमेज रखते हैं. X पर यूजर्स का भी मानना है कि, “एनडीए से चिराग हटे तो बिहार में पासवान वोट बिखर सकता है”. चिराग पासवान को कुछ लोग किंगमेकर के रूप में भी देखते हैं. अगर वह एनडीए से बाहर होते हैं तो यह वोट बैंक एनडीए से दूर जा सकता है, जो जीत-हार का फैसला कर सकता है.
NDA की रणनीति और BJP की मजबूरी
बिहार में BJP-JDU की सीटें भी पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले कम होंगी. छोटे दलों को भी साथ लेकर चलना एनडीए की रणनीति में शामिल है. चिराग के बिना NDA की एकजुटता टूटेगी और महागठबंधन को फायदा होगा. चिराग वर्तमान में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हैं, उनके हटने से केंद्र में मंत्री पद और बिहार में उनकी पार्टी की लोकसभा सीटें भी खतरे में होंगी. वहीं, चिराग पासवान अगर अकेले लड़ते हैं तो उनकी पार्टी का खाता खुलना मुश्किल है. वहीं, BJP उन्हें मनाने की कोशिश में है.