जम्मू-कश्मीर के R.S. पुरा सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी में BSF के सब इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज शहीद हो गए। यह हमला ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान हुआ था। शहादत की खबर मिलते ही उनके पैतृक गांव छपरा जिले के नारायणपुर में शोक की लहर दौड़ गई। सोमवार को शहीद का पार्थिव शरीर गांव लाया गया, जहां पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शहीद इम्तियाज के साहस और वीरता की चर्चा गांव के हर कोने में हो रही है। उन्होंने अपने घर का नाम ‘सीमा प्रहरी आवास’ रखा था, जिससे उनका सीमा पर डटकर देश की रक्षा करने का गर्व झलकता है।
मुख्यमंत्री ने दी श्रद्धांजलि
शहीद के सम्मान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं उनके घर पहुंचे और परिवार से मुलाकात की। उन्होंने परिजनों को सांत्वना दी और 50 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की, जिसमें से 21 लाख बिहार सरकार द्वारा और 29 लाख मुख्यमंत्री राहत कोष से दिए गए। मुख्यमंत्री ने करीब पांच मिनट तक शहीद के परिजनों से बातचीत की। इस दौरान शहीद के परिजनों ने कुछ मांगें रखीं, जैसे कि गांव में स्वास्थ्य केंद्र, सड़क और स्मारक का नाम शहीद के नाम पर किया जाए और छोटे बेटे को सरकारी नौकरी दी जाए। मुख्यमंत्री ने सभी मांगें तुरंत मानने का आदेश दिया।
परिजनों की सभी मांगों को सरकार ने माना
मुख्यमंत्री के साथ डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, मंत्री विजय चौधरी, प्रभारी मंत्री सुमित सिंह और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान भी मौजूद रहे। स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत, बिहार के DGP और मुख्य सचिव भी शहीद के घर पहुंचे। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी शहीद के परिजनों से मिले और अपनी संवेदना प्रकट की। इस मौके पर शहीद के भाई मो. मुस्तफा ने कहा कि उन्हें अपने भाई की शहादत पर गर्व है। जो BSF में ही मेघालय के बांग्लादेश बॉर्डर पर तैनात हैं।
शहीद की शहादत पर गर्व
शहीद मो. इम्तियाज तीन भाइयों में सबसे बड़े थे। छोटे भाई मो. असलम गांव में ही रहते हैं। शहीद का बेटा मो. इमरान अभी पढ़ाई कर रहा है। वह अपने पिता की तरह देश की सेवा करना चाहता है। शहीद के परिजनों ने सरकार का आभार जताया और कहा कि उन्हें गर्व है कि उनका बेटा देश के लिए शहीद हुआ। अब गांव में एक स्मारक बनेगा, सड़क और अस्पताल शहीद के नाम से जाना जाएगा जिससे आने वाली पीढ़ियां उनके बलिदान को याद रखेंगी।