Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव दिनों दिन दिलचस्प होता जा रहा है। 6 नवबंर को पहले चरण का चुनाव होना है। बीजेपी सीटों का बंटवारा करके महागठबंधन से एक कदम आगे निकल गई। इसके बाद सीट के नामों पर काफी संघर्ष हुआ लेकिन शीर्ष नेतृत्व के दखल के बाद विवाद शांत हुआ। लेकिन चुनाव में बीजेपी के सामने नई मुसीबत खड़ी है। यह मुसीबत विरोधी दल नहीं बल्कि खुद बीजेपी के कुछ कार्यकर्ता और नेता हैं।
बिहार चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने कोटे की सभी 101 सीटों पर उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं। लेकिन टिकट बंटवारे के साथ ही पार्टी के भीतर असंतोष की लहर भी साफ दिखने लगी है। कुल 17 विधायकों के टिकट काटे गए हैं, जिनमें से मिश्रीलाल यादव जैसे कुछ नेताओं ने तो पार्टी छोड़ने का ऐलान तक कर दिया है। अब कई सीटों पर स्थानीय नेताओं के बगावती तेवर और निर्दलीय दावेदारी ने बीजेपी के लिए सिरदर्द बढ़ा दिया है। ऐसे में सवाल उठता है- बिहार में बीजेपी के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौतियां क्या हैं?
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बीजेपी में पहले से ही “भीतरी बनाम बाहरी” यानी पुराने नेताओं बनाम नए चेहरों की खींचतान जारी है। इस विवाद को खत्म करने के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने अपने पिछले दौरे में सख्त निर्देश दिए थे, लेकिन नतीजा खास नहीं निकला। अब भी पुराने और नए नेताओं के बीच दूरी बनी हुई है। पार्टी के दिग्गज नेता अश्विनी चौबे, गिरिराज सिंह और आरके सिंह जैसे कई नेताओं की नाराजगी सतह पर दिख चुकी है।
टिकट वितरण से पहले बनी बीजेपी की कोर कमेटी से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल को बाहर किया जाना भी अंदरूनी खींचतान को और हवा दे गया। दिल्ली में हुई कोर ग्रुप की बैठक में दोनों नेताओं को आमंत्रित नहीं किया गया, जबकि बिहार के मंत्री नितिन नवीन को शामिल किया गया। इससे स्थानीय नेताओं में असंतोष और बढ़ गया।
हाईप्रोफाइल सीट पर ये दिक्कतें-
भागलपुर- यहां से बीजेपी ने रोहित पांडे को उम्मीदवार बनाया है। 2020 में वे महज़ 1113 वोटों से हार गए थे क्योंकि बागी उम्मीदवार विजय कुमार शाह ने वोट काट लिए थे। इस बार अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत चौबे और वरिष्ठ नेता प्रशांत विक्रम ने टिकट न मिलने पर बगावती तेवर अपना लिए हैं। दोनों ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
बक्सर (चैनपुर)- जन सुराज पार्टी ने बीजेपी के दिवंगत नेता लालमुनि चौबे के बेटे हेमंत चौबे को टिकट दिया है। लालमुनि चौबे चार बार के सांसद रहे हैं, जिससे स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ताओं की सहानुभूति जन सुराज की ओर झुक सकती है।
छपरा- यहां से बीजेपी ने छोटी कुमारी को टिकट दिया है। इससे नाराज पूर्व मेयर राखी गुप्ता ने निर्दलीय मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है और नामांकन दाखिल कर दिया है।
गोपालगंज- सदर सीट से विधायक कुसुम देवी का टिकट काटकर सुभाष सिंह को उतारा गया है। इससे नाराज कुसुम देवी और वरिष्ठ नेता अनूप लाल श्रीवास्तव ने बगावत का झंडा उठा लिया है।
बरौली- मौजूदा विधायक रामप्रवेश राय ने टिकट कटने के बाद खुलेआम विद्रोह का ऐलान कर दिया है।
बांका- पूर्व सांसद और बीजेपी उपाध्यक्ष पुतुल कुमारी ने पार्टी से नाराज होकर चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान किया। पार्टी ने उन्हें छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। उनकी उम्मीदवारी से जेडीयू उम्मीदवार की राह कठिन हो सकती है।
महाराजगंज- बीजेपी एमएलसी सच्चिदानंद राय ने पार्टी के खिलाफ बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि अनुशासनात्मक कार्रवाई की उन्हें कोई परवाह नहीं।
मोतिहारी (ढाका)- बीजेपी के पुराने नेता लाल बाबू प्रसाद को जन सुराज पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है, जिससे इस सीट पर भी बीजेपी के वोटों में बंटवारा तय माना जा रहा है।
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