Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो चुकी है। एनडीए और महागठबंधन में शामिल घटक दलों ने चुनाव को लेकर तैयारियां तेज कर दी है। इसी क्रम में बीजेपी ने बिहार की सभी 243 सीटों पर आतंरिक सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया है। इसमें कौन जाति किस सीट पर ज्यादा प्रभावी है इसको लेकर पार्टी की ओर सर्वे किया गया है। इसके आधार पर ही पार्टी सीटवार उम्मीदवारों की घोषणा करेगी।
इन जातियों पर है बीजेपी का फोकस
पार्टी के स्थानीय सूत्रों की मानें तो बिहार में बीजेपी की रणनीति पिछड़ा, अति पिछड़ा और दलित वर्ग को साधना है। पार्टी की रणनीति है कि बिहार की तीन-चौथाई सीटों पर इन वर्गों से जुड़े प्रत्याशी उतारे जाए। उधर खबर है कि बिहार में महागठबंधन की तरह ही एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर आपसी कलह होना तय है। इसकी वजह बीजेपी का कोटे से अधिक सीटों पर दावा करना है। जबकि जेडीयू 2020 विधानसभा चुनाव के आधार पर ही सीटों का बंटवारा करना चाहती है।
सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी बीजेपी
बिहार में जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर ही बाीजेपी आलाकमान ने सभी सीटों पर उम्मीदवार तय करने की बात कही है। सूत्रों की मानें तो पार्टी आलाकमान ने पिछले महीने हुई एनडीए की बैठक में साफ किया था कि सामाजिक समीकरणों के आधार पर ही सीट बंटवारा होगा, इसके बाद प्रत्याशियों की घोषणा की जाएगी। खबर तो यह भी है कि पार्टी इस बार बिहार में किसी एक चेहरे को आगे करने की बजाय सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ना चाहती है। ताकि नेतृत्व को लेकर एनडीए के अन्य घटक दलों में किसी प्रकार की अनबन ना हो।
चुनाव तारीखों से पहले प्रत्याशियों की घोषणा करेगी पार्टी
बता दें कि बिहार चुनाव को लेकर बीजेपी पूरी तरह चुनावी मोड में आ चुकी है। पार्टी के एक वर्ग का मानना है कि विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही प्रत्याशियों की घोषणा कर दी जाए। ताकि सीटों को लेकर होने वाली माथापच्ची से बचा जा सके और उम्मीदवारों को चुनाव की तैयारी के लिए अतिरिक्त समय मिल सके। इस रणनीति का एक मकसद पार्टी में होने वाली बगावत को रोकना भी है। टिकट वितरण के बाद अंसतुष्ट नेताओं को मनाया जा सके इसलिए पार्टी का एक धड़ा चाहता है कि चुनाव की घोषणा से पहले ही प्रत्याशियों के नाम फाइनल किया जा सके।
चुनाव के ऐलान से पहले पीएम मोदी करेंगे रैलियां
बिहार चुनाव में पार्टी की एक रणनीति प्रधनमंत्री की रैलियां कराने की है। ताकि चुनाव से पहले एकजुटता का संदेश दिया जा सके। इस दौरान एनडीए के सभी घटक दलों के बड़े चेहरे भी मंच पर मौजूद रहेंगे। इसके अलावा पार्टी की रणनीति जातिवार रैलियां कराने की भी है। ताकि जाति की राजनीति में अन्य पार्टियां सियासी बढ़त हासिल नहीं कर पाए।
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