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बिहार में कन्हैया कुमार की पदयात्रा से कांग्रेस को कितना फायदा? जानें पॉलिटिकल एक्सपर्ट की राय

Bihar Elections 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस हर उस मुमकिन कोशिश में जुटी है ताकि वह राज्य में खुद को पुर्नजीवित कर सके। ऐसे में अब कांग्रेस राहुल गांधी की तर्ज पर कन्हैया कुमार के चेहरे पर पदयात्रा निकालने में जुटी है।

Author Edited By : Rakesh Choudhary Updated: Mar 15, 2025 14:39
Bihar Politics
Rahul Gandhi and Kanhiya Kumar

Bihar Politics: बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर रोजगार के मुद्दे पर एक पदयात्रा निकालने जा रही है। जिसकी अगुवाई पार्टी की युवा और छात्र इकाई के प्रमुख कन्हैया कुमार करेंगे। सूत्रों के अनुसार 16 मार्च से 14 अप्रैल तक कांग्रेस के युवा छात्र नेता और कार्यकर्ता ‘बिहार में नौकरी दो’ यात्रा निकालेंगे। इस कार्यक्रम को बिहार में कांग्रेस की मजबूती के तौर पर देखा जा रहा है।

कांग्रेस सूत्रों की मानें तो यात्रा बिहार के ऐतिहासिक पूर्वी चंपारण से शुरू होकर पटना तक जाएगी। 500 किलोमीटर की यह पद यात्रा बिहार के 20 जिलो से होकर गुजरेगी। इस दौरान जगह-जगह पर रोजगार, पेपरलीक और पलायन जैसे मुद्दे उठाए जाएंगे। यह पदयात्रा करीब 100 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों को कवर करेगी। इस पदयात्रा के जरिए कांग्रेस की कोशिश युवाओं को मुद्दे के आधार पर पार्टी से जोड़ने की है। पदयात्रा के दौरान कांग्रेस के कई राज्यों के बड़े नेता अलग-अलग जगहों पर शामिल होंगे। ऐसे में पॉलिटिकल एक्सपर्ट से समझते हैं इस पदयात्रा से कांग्रेस को कितना फायदा मिलेगा?

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पूरे बिहार में नहीं पड़ेगा प्रभाव

बिहार में कन्हैया कुमार की पदयात्रा का कितना असर होगा? इसको लेकर वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने कहा कि बिहार में कांग्रेस नए सिरे से जमीन तलाश रही है। आज से 30 साल पहले लालू यादव बिहार की सत्ता में आए उससे पहले कांग्रेस की स्थिति बहुत अच्छी थी। बाद के सालों में बिहार के लोगों में राजनीतिक चेतना जागृत हुई है। कन्हैया कुमार की पदयात्रा का भागलपुर, खगड़िया, बेगुसराय और सिमरिया और उसके आसपास के क्षेत्रों में प्रभाव पड़ सकता है, लेकिन पूरे बिहार में इसका प्रभाव पड़ेगा यह नहीं कह सकते हैं।

कन्हैया कुमार महत्वाकांक्षी हैं

राजेश बादल ने बताया कि कांग्रेस को हर एक क्षेत्र के लिए अलग-अलग कन्हैया कुमार की जरूरत है। वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि कन्हैया कुमार की एक बड़ी समस्या महत्वाकांक्षी होना भी है। वे अपने समकक्ष किसी अन्य नेता को पनपने नहीं देना चाहते। उनको बिहार में पार्टी की कमान संभाले कई साल हो गए हैं, उन्होंने अब तक प्रदेश कार्यकारिणी, जिला और ब्लॉक लेवल पर संगठन क्यों नहीं बनाया? बिहार कांग्रेस में कन्हैया कुमार के अलावा उनसे बड़े जनाधार वाला कोई नेता नहीं है। ऐसे में कांग्रेस के लिए बड़ा मुश्किल होगा वापसी करना।

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कांग्रेस का स्टेप सबसे अच्छा

बिहार में कांग्रेस की पदयात्रा को लेकर वरिष्ठ पत्रकार उमाकांत लखेड़ा ने कहा कि कांग्रेस को अगर अपने दम पर वापसी करनी है तो पब्लिक के बीच जाना पड़ेगा। बिहार में पिछले 30 साल से कांग्रेस सत्ता से बाहर है। कांग्रेस बिहार में मंडल आयोग, छात्र आंदोलन और राम मंदिर आंदोलन के बाद पूरी तरह से धरातल से साफ हो गई। बिहार में लालू यादव के प्रभाव के साथ ही जातिवादी राजनीति का प्रादुर्भाव हुआ। बिहार में कांग्रेस इसलिए जीवंत है क्योंकि उसे लालू यादव का साथ है। ऐसे में राहुल गांधी कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स को फिर से साधने में जुटे हैं। एनडीए के साथ बड़े चेहरे हैं जैसे स्वयं नीतीश कुमार और चिराग पासवान। दोनों के साथ दलित और अति पिछड़ा जैसा बड़ा जातीय समुदाय है। वहीं लालू यादव पिछड़ों को साधकर हमेशा आगे बढ़ते आए हैं।

नाराज हो सकते हैं लालू यादव

तेजस्वी और लालू यादव कन्हैया कुमार की आक्रामक पॉलिटिक्स को पसंद नहीं करते हैं। लोकसभा चुनाव में भी बिहार में कन्हैया कुमार को लेकर तेजस्वी ने नाराजगी जताई थी इसके बाद कन्हैया को दिल्ली से टिकट दिया गया। ऐसे में राहुल गांधी ने कांग्रेस को पुर्नजीवित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। लालू यादव इस कदम को पसंद नहीं करेंगे क्योंकि उन्हें तेजस्वी के राजनीतिक करियर की चिंता है। बेशक कांग्रेस का डिसीजन अच्छा है, वे युथ को आकर्षित करेंगे। अब इसका क्या नतीजा निकलेगा ये तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा।

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First published on: Mar 11, 2025 01:11 PM

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