Bihar Police Letter Post (नीरज त्रिपाठी): डाक पहुंचाने वाले सिपाहियों को बिहार पुलिस बड़ी राहत देने की तैयारी में है। बिहार पुलिस अब इन सिपाहियों से डाक पहुंचाने के बजाय प्रशासनिक कार्यों में लगाने की योजना बना रही है। हर वर्ष करीब ढाई लाख डाक पहुंचाने में 6 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। अब इन पैसों को बचत करने के लिए बिहार पुलिस ने डाक विभाग से एक एमओयू साइन करेगा। इसके बाद डाक पहुंचाने में लगे एक हजार पुलिसकर्मियों को राहत मिलेगी और पत्रों को डाक के माध्यम से भेजा जाएगा।
एक हजार सिपाही डाक पहुंचाने में रहते हैं व्यस्त
इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए बिहारपुलिस मुख्यालय एडीजी जिंतेंद्र सिंह गंगवार ने बताया है कि बिहार में कुल 104 कार्यालय है जहां से डाक जाता है और 1000 सिपाही डाक पहुंचाने में व्यस्त रहते हैं। एक सिपाही का औसत वेतन करीब 50 हजार रुपये होती है। ऐसे मे डाक सिपाहियों को वेतन देने में सालाना 5 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। इन सिपाहियों से कोई सामान्य प्रशासनिक कार्य भी नहीं लिए जाते। अब, इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार पुलिस मुख्यालय ने भारतीय डाक विभाग से एमओयू साइन किया है, जिससे बिहार पुलिस विभाग को 5 करोड़ रुपये की बचत होगी ।
मेल की मदद से भी भेजे जाएंगे जरूरी कागजात
इस एमओयू पर बिहार पुलिस मुख्यालय और भारतीय डाक विभाग 21 नवम्बर को समझौता पत्र बनाएगा। वहीं, जरूरी वारंट या कागजातों को संबंधित व्यक्ति या फिर अधिकारियों तक भेजने के लिए बिहार पुलिस मुख्यालय अब मेल की मदद लेगा। एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार बताते हैं कि बिहार के सभी थाने मेल से जुड़ गए हैं। अब मेल के माध्यम से भी पत्रचार कर संबंधित व्यक्ति या फिर अधिकारियों को वारंट या फिर उनके मेल पर भेजी गई पात्रचार कि कॉपी की जानकारी देने का काम बिहार पुलिस मुख्यालय करेगा।
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31 नवंबर को होगा समझौता पत्र पर साइन
बिहार पुलिस मुख्यालय एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने आगे कहा कि 31 नवंबर को भारतीय डाक और बिहार पुलिस मुख्यालय समझौता पत्र पर साइन करेगा। इसके बाद डाक के माध्यम से संबंधित व्यक्ति या अधिकारियों तक डाक भेजने का कार्य शुरू कर देगा और बिहार पुलिस मुख्यालय की तरफ से भेजे गए डाक की ट्रैकिंग भी करेगा ।