Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में फर्जी मतदाताओं की छंटनी के लिए चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) मतदाता पुनरीक्षण अभियान शुरू कराने का आदेश दिया था। आदेश के अनुसार, मतदाता बनने के लिए गणना फॉर्म भरना जरुरी है। फॉर्म के साथ आधार कार्ड को छोड़कर अन्य 11 दस्तावेजों को वैध माना गया है। दस्तावेज मांगने से विरोधी पार्टियों ने आदेश का विरोध शुरू कर दिया। इससे पूरे राज्य में कंफ्यूजन की स्थिति बन गई।
चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों के बीच बिहार में मतदाता सूची अभियान पर हो रहे विवाद के बीच मतदाताओं में भी बहुत ज्यादा कन्फ्यूजन हो गया है। कन्फ्यूजन इस बात का है कि मतदाता सूची में नाम जुड़ने के लिए केवल गणना फॉर्म भरना है या दस्तावेज भी देना है? दस्तावेज जमा नहीं होंगे तो क्या नाम कट जाएगा? ऐसे कई सवाल आम आदमी सहित नेताओं के मन में भी खड़े हो रहे हैं। मामले में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पूरी स्थिति को साफ करते हुए कहा है कि मतदाता बनने के लिए दस्तावेज देना अनिवार्य है। गणना फॉर्म भरते समय नहीं तो बाद में भी दस्तावेज जमा करने के लिए समय मिलेगा। साथ ही ज्ञानेश कुमार ने एक्स प्लेटफॉर्म पर लिखा कि “शुद्ध मतदाता सूची लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए अनिवार्य हैं।”
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गणना फॉर्म के साथ दस्तावेज ऐसे जमा करें
आयोग ने बताया कि वैध मतदाता बनने के लिए 25 जुलाई 2025 तक जरूरी दस्तावेज के साथ मतदाता गणना पत्र भरना जरुरी है। जितने भी भरे हुए मतदाता गणना पत्र मिलेंगे, सभी को 1 अगस्त को जारी होने वाली ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा। चाहे इसमें जरूरी दस्तावेज नहीं दिए हों। अगर 25 जुलाई तक फॉर्म के साथ दस्तावेज नहीं दिए हैं तो, 1 सितंबर तक दस्तावेज जमा किए जा सकते हैं। यानी 1 अगस्त और 1 सितंबर के बीच आपत्ति और दावे के लिए समय निर्धारित किया गया है, उस दौरान दस्तावेज जमा कर सकते हैं। इसके बाद ही फाइनल मतदाता सूची में मतदाता का नाम शामिल किया जाएगा।
“शुद्ध मतदाता सूची लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए अनिवार्य हैं” – ज्ञानेश कुमार, भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त
”Pure electoral rolls are inevitable for strengthening democracy” – Gyanesh Kumar, Chief Election Commissioner of India#ECI pic.twitter.com/MmDVbvRtHn
— Election Commission of India (@ECISVEEP) July 8, 2025
अगर दस्तावेज नहीं हैं तो…
आयोग ने साफ किया कि 1 सितंबर के बाद भी कोई अपना नाम मतदाता सूची में जुड़वाना चाहता है लेकिन उसके पास जरूरी दस्तावेज नहीं है। तो वह इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ERO) के पास जा सकता है। यह सब डिविजनल मजिस्ट्रेट स्तर का अधिकारी होता है। वह अपनी जांच के आधार पर किसी का नाम जोड़ सकता है या काट सकता है। ये अधिकार सिर्फ ERO के पास ही है। इसके लिए उसे हर एक केस में एक आदेश निकालना होगा। अगर कोई ERO के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो वो इसके खिलाफ DM के सामने अपील कर सकता है। वहां से भी असंतुष्ट होने पर मुख्य चुनाव अधिकारी के सामने अपील में जा सकता है।
संवैधानिक है यह अभियान
आयोग ने बताया कि इस सत्यापन अभियान में BLO लोगों की मदद कर रहे हैं। BLO खुद गणना पत्र भरकर मतदाता के सामने जाते हैं, मतदाता को सिर्फ अपना हस्ताक्षर करना होता है। दस्तावेज है तो दें नहीं है तो बाद में दे सकते हैं। मतदाता पुनरीक्षण अभियान में मतदाता बनने की योग्यता संविधान के आर्टिकल 326 के तहत किया जा रहा है। वैध मतदाता बनने के लिए 11 दस्तावेजों की सूची में से कोई एक देना अनिवार्य है।
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14 दिन में जमा हो गए 46.95% फॉर्म
चुनाव आयोग ने मंगलवार को प्रेस नोट जारी करके बताया कि 8 जुलाई तक करीब 7.90 करोड़ में से बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण के 3.70 करोड़ गणना फॉर्म जमा हो चुके हैं। जो कुल का करीब 46.95% है। डिप्टी डायरेक्टर पी पवन ने बताया कि ऐसी गति रही तो उम्मीद है कि तय समय 25 जुलाई से पहले ही सभी फॉर्म जमा हो जाएंगे। बताया कि पहले 2 सप्ताहों में 7.90 करोड़ फॉर्म छापे गए और 97% से अधिक फॉर्म (7,70,44,990) मतदाताओं को वितरित किए जा चुके हैं। साथ ही, 18.16% फॉर्म ECINET में अपलोड किए जा चुके हैं।
जुटे हैं 98 हजार से ज्यादा BLO और 4 लाख वॉलंटियर
आयोग ने बताया कि अभियान में तेजी लाने के लिए जमीनी स्तर पर 20,603 बीएलओ और जुड़े हैं। इसके अलावा पहले से ही 77,895 बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं को उनके गणना फॉर्म भरने और उन्हें जमा करने में मदद कर रहे हैं। वहीं आयोग ने दावा किया है कि इस अभियान में करीब 4 लाख वॉलंटियर भी काम कर रहें हैं। वॉलंटियरर्स में सरकारी अधिकारी, एनसीसी कैडेट, एनएसएस सदस्य आदि शामिल हैं। ये सभी बुजुर्गों, दिव्यांगों, बीमार और कमजोरों की मदद कर रहे हैं। इसके अलावा सभी 243 एसी, 963 एईआरओ, 38 डीईओ और राज्य के सीईओ को कवर करने वाले ईआरओ जमीनी स्तर पर जुटे हैं।