Bihar Cabinet Expansion: बिहार में चुनाव से पहले एनडीए एक्टिव हो गया है। पिछले दो दिन में बीजेपी के दो शीर्ष नेताओं के दौरों से स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी चुनाव से 6 महीने पहले ही चुनावी मोड में आ चुकी है। इस बीच आज बिहार कैबिनेट का चुनाव से पहले आखिरी मंत्रिमंडल विस्तार हो रहा है। शाम 4 बजे राजभवन में बीजेपी कोटे से 7 मंत्री शपथ लेंगे। हालांकि जेडीयू कोटे को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। सूत्रों की मानें तो इस कैबिनेट विस्तार में जेडीयू कोटे से एक भी मंत्री नहीं बनेगा। ऐसे में कैबिनेट विस्तार में जातीय समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है, आइये जानते हैं कैसे?
बीजेपी चुनाव से पहले कैबिनेट विस्तार कर सोशल इंजीनियरिंग को ठीक करना चाहती है। मंत्रिमंडल में भूमिहार, कुर्मी, दलित, वैश्य, कुशवाहा, राजपूत समाज से चेहरे देखने को मिल सकते हैं। वहीं संभावित मंत्रियों में संजय सरावगी, कृष्ण कुमार मंटू, राजू सिंह, जीवेश मिश्रा, विजय मंडल, मोतीलाल का नाम शामिल है।
सभी जातियों को साध रही बीजेपी
कृष्ण कुमार मंटू कुर्मी समुदाय से आते हैं। वे अमनौर विधानसभा से विधायक हैं। इनको मंत्री बनाकर बीजेपी कुर्मी समुदाय का वोट चाहती है। हालांकि नीतीश कुमार को कुर्मी का वोट मिलता रहा है। संजय सरावगी मारवाड़ी समुदाय से आते हैं। बिहार में मारवाड़ियों की अच्छी खासी आबादी है, इसके अलावा संजय वैश्य समाज आते हैं। जातीय जनगणना के अनुसार बिहार में सवर्ण कम हुए हैं लेकिन बीजेपी के लिए रणनीतिक तौर पर जरूरी है।
राजू सिंह राजपूत जाति से आते हैं। 2020 में वीआईपी पार्टी से चुनाव जीते थे। बाद में वे बीजेपी में शामिल हो गए। जीवेश मिश्रा भूमिहार से आते हैं। वे भी मंत्री रह चुके हैं। विजय कुमार मंडल केवट समुदाय से आते हैं। अररिया विधानसभा से बीजेपी के विधायक हैं। सुनील कुमार कोइरी समाज से आते हैं। वहीं मोती लाल प्रसाद वैश्य समुदाय से आते हैं। रीगा विधानसभा से बीजेपी का नेतृत्व करते हैं।
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कुछ ऐसी होगी सीएम नीतीश की कैबिनेट
नीतीश कैबिनेट में 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के इस्तीफे के बाद प्रदेश में मंत्रियों की संख्या 29 हो गई है। इसमें बीजेपी के 14, जेडीयू के 13, हम से 1 और 1 निर्दलीय कोटे से मंत्री हैं। आज हो रहे मंत्रिमंडल विस्तार में 7 नाम बीजेपी के होंगे। ऐसे में बीजेपी के मंत्रियों की संख्या 21 हो जाएगी। जबकि एक मंत्री पद खाली रहेगा।
मंत्रिमंडल विस्तार की कीमत क्या?
इस विस्तार के बाद जेडीयू की मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी कम हो जाएगी। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि नीतीश किस शर्त पर अपनी पार्टी से मंत्री नहीं बनाने पर सहमत हुए हैं। क्या उन्हें केंद्र सरकार में एक मंत्री पद मिलेगा? या उनकी पार्टी इस बार विधानसभा में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। कारण चाहे जो हो, दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी का उत्साह सातवें आसमान पर है।
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