Cocoon Bank For Reviving Silk Industry: सिल्क को बढ़ावा देने के लिए जिले में कई तरह के योजनाओं पर काम किया जा रहै है। इसका लक्ष्य खत्म होते सिल्क व्यवसाय को पुनर्जीवित करना है। इसको लेकर शहर में कोकून बैंक की स्थापना की जा रही है। यहां बुनकरों को स्टॉल देने की बात भी चल रही है ताकि बुनकर अपना समान खुद से बेच सकें।
आपको बता दें, जिले में सिल्क की स्थिति बिगड़ती हुई नजर आ रही है। इसकी खास वजह यहां पर सूत का प्रोडक्शन न होना बताया जा रहा है। रेशमी धागा नहीं मिलने से बिचौलिए फायदा उठाकर सूत का काफी अधिक दाम लेने लगते हैं। बुनकरों को कपड़े की सही कीमत नहीं मिलने से उनकी स्थिति होती जा रही है।
सूत उपलब्ध कराने के लिए कोकून बैंक
जिलाधिकारी नवल चौधरी से बात करने पर उन्होंने बताया कि जब यहां आने पर मुझे लगा कि यह सिल्क सिटी है और इस वजह से यहां पर सिल्क इंडस्ट्री का जिंदा रहना काफी जरूरी है। बुनकरों से बातचीत करने पर पता चला कि उनको सही समय पर सूत उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।
बिचौलिए इसका फायदा मनमाने तरीके से उठाकर काफी दाम लेते हैं। बुनकरों को सूत उपलब्ध करने के लिए हमलोगों ने कोकून बैंक लगाने का फैसला लिया है और यह बैंक रेशम भवन में लगाया जाना है।
बुनकरों को मिलेगा स्टॉल
आपको बता दें, जिले के बरारी स्थित बियाडा में बड़े पैमाने पर सिल्क उद्योग लगाए जा रहा है और यहां पर नई डिजाइन के सिल्क के कपड़े तैयार किए जाएंगे। इसके साथ ही सिल्क कारोबारियों को मार्केट का सबसे अधिक अभाव रहता है। जिस कारण हमलोग बुनकरों को रेशम भवन में ही स्टॉल देने पर विचार कर रहे हैं। यहां आने वाले लोग रेशम को अच्छी तरीके से जानें और एक जगह पर रेशमी कपड़ा उपलब्ध हो पाए.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में फैला है व्यापार
दरअसल, भागलपुर रेशमी शहर के नाम से जाना जाता है। यहां पर रेशम के कई तरह के कपड़े तैयार होते हैं. यहां पर पहले रेशमी कीड़ा पाला जाता था और उससे धागा तैयार होता था। यहां का सिल्क काफी मुलायम व पहनने में हल्का होता है। यहां का सिल्क व्यापार अंतरराष्ट्रीय बाजार तक में फैला है, लेकिन अब धीरे-धीरे यह खत्म होता नजर आ रहा है। एक बार फिर सिल्क को बचाने की कवायद तेज हो गई है, जिससे रेशमी शहर का नाम मानचित्र के पटल पर अंकित रहे।
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