पटना: ये राजनीति भी बड़ा अजीब व्यवसाय है। इसमें कुछ भी गलत नहीं और कुछ सही भी नहीं है, सब वक्त और संबंधित घटनाक्रम का हिस्सा रहे लोगों के नजरिये पर निर्भर करता है। हाल ही में बिहार की राजनीति में कुछ ऐसा ही हो रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को उसी शख्स को गले लगाते नजर आए, जिनकी बीते दिनों गर्दन पकड़ ली थी। क्या है नीतीश की ‘राज-नीति’? इस सवाल का जवाब आपको News 24 हिंदी के इस न्यूज आर्टिकल में मिल जाएगा। आइए जानें क्या है पूरा मामला…
ताजा मामला उस वक्त का है, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री के जन्मदिवस पर एसके मेमोरियल हॉल परिसर में आयोजित राजकीय समारोह में पहुंचे थे। यहां मीडिया के साथ सवाल-जवाब के दौर के चलते नीतीश कुमार अचानक अपने एक मंत्री अशोक चौधरी के गले से लिपट गए।
इस दौरान CM नीतीश कुमार ने कहा, ‘हम इनसे प्रेम करते हैं। हम इनको (अशोक चौधरी) देखते हैं तो देखकर खुश होते हैं’। इसी दौरान कुछ मीडियाकर्मी पूछने लगे कि माथा लड़ाने वाला क्या मामला है? दो-तीन बार हो चुका है, क्या है ये टीका लगाने का मामला है? इसके जवाब में नीतीश ने कहा कि वह टीका लगाने के या किसी धर्म के खिलाफ नहीं हैं। सबकी इज्जत करते हैं। असल में इस सवाल के पूछे जाने की वजह बीते दिनों का एक कार्यक्रम है, जब नीतीश कुमार ने इन्हीं अशोक चौधरी की गर्दन पकड़ ली थी।
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बता देना जरूरी है कि 18 सितंबर को गांधी मैदान के पास मॉरिशस के पूर्व राष्ट्रपति शिवसागर रामगुलाम की जयंती के मौके पर मीडिया से रू-ब-रू बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नजर एक पत्रकार पर पड़ी, जिसने टीका (तिलक) लगा रखा था। इसके तुरंत बाद नीतीश कुमार पीछे की तरफ पलटे और अपने मंत्री अशोक चौधरी की पीछे से गर्दन पकड़ ली और फिर आगे लाकर तिलक लगाए हुए पत्रकार के सामने लाकर दोनों के माथे भिड़ा दिए। आज उसी प्रकरण पर सवाल-जवाब हुए तो मुख्यमंत्री बड़े ही दिलचस्प लहजे में सफाई देते नजर आए।
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उधर, सीटों के बंटवारे को लेकर किए गए सवाल और भोपाल रैली के रद्द हो जाने के संबंध में पूछी गई बात का जवाब देने से मुख्यमंत्री बचते नजर आए। इसी के साथ ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी से मुलाकात पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कि सभी पार्टियों के नेता आपस में बात करते हैं। हालांकि अभी बताने लायक कुछ भी खास नहीं है।