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छजलैट केस में आजम खान को राहत, मुरादाबाद की अदालत ने किया बरी

Azam Khan News: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को मुरादाबाद की एमपी-एमएलए विशेष अदालत से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने उनके खिलाफ चल रहे कोर्ट की अवमानना के मामले में बरी कर दिया है। यह केस वर्ष 2020 में अदालत में पेश न होने के कारण शुरू हुआ था जो कि छजलैट थाना क्षेत्र की एक पुरानी घटना से जुड़ा था।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : praveen vikram Updated: Sep 16, 2025 20:38

Azam Khan News: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को मुरादाबाद की एमपी-एमएलए विशेष अदालत से बड़ी राहत मिली है। अदालत ने उनके खिलाफ चल रहे कोर्ट की अवमानना के मामले में बरी कर दिया है। यह केस वर्ष 2020 में अदालत में पेश न होने के कारण शुरू हुआ था जो कि छजलैट थाना क्षेत्र की एक पुरानी घटना से जुड़ा था।

क्या है पूरा मामला?

यह विवाद 2 जनवरी 2008 का है जब आजम खान अपने परिवार के साथ मुजफ्फरनगर में एक कार्यक्रम में जा रहे थे। रास्ते में छजलैट थाना क्षेत्र में उनकी गाड़ी को पुलिस ने चेकिंग के दौरान रोका। आरोप था कि वाहन पर अवैध रूप से लालबत्ती लगी थी। इस कार्रवाई का उनके समर्थकों ने विरोध किया, जिसके चलते थाने के बाहर सड़क जाम और धरने की स्थिति बन गई। इस घटना के बाद पुलिस ने आजम खान, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और कई समर्थकों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

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पिछली सुनवाई और सजा

13 फरवरी 2023 को इसी मामले में मुरादाबाद की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला को दोषी मानते हुए दो-दो साल की कैद और 3,000 के जुर्माने की सजा सुनाई थी। हालांकि, सजा के बाद उन्हें जमानत मिल गई थी और उन्होंने फैसले को उच्च अदालत में चुनौती दी थी।

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अवमानना का मामला और बरी होने का फैसला

मामले की सुनवाई के दौरान कई बार आजम खान और अब्दुल्ला आजम अदालत में निर्धारित तिथियों पर पेश नहीं हुए जिसके चलते उन पर कोर्ट की अवमानना का अलग मामला दर्ज हुआ। इस केस में अब मुरादाबाद की एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अवमानना के आरोपों को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए जा सके, इसलिए दोनों को इस मामले से मुक्त किया जाता है।

वकील का पक्ष

आजम खान के अधिवक्ता सैय्यद शाहनवाज सिब्तेन नकवी ने अदालत के फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि न्याय की जीत हुई है। यह फैसला साबित करता है कि बिना ठोस प्रमाण किसी जनप्रतिनिधि को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

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First published on: Sep 16, 2025 08:37 PM

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