Greater Noida News: यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) द्वारा स्मार्ट विलेज के नाम पर किए गए विकास कार्यों की सच्चाई सामने लाई जाएगी। प्राधिकरण के सीईओ राकेश कुमार सिंह खुद 29 घोषित स्मार्ट गांवों का दौरा कर वहां हुए विकास की जमीनी हकीकत की जांच करेंगे। इस दौरान डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) से विकास का मिलान कर देखा जाएगा कि जिन सुविधाओं का दावा किया गया वह धरातल पर है या नहीं। यह सभी गांव नोएडा एयरपोर्ट के आस-पास है।
सड़क-सीवर बने, पानी गायब
यीडा का दावा है कि 29 गांवों को स्मार्ट विलेज बनाने की योजना पर पिछले चार वर्षों से काम चल रहा है। इनमें से 9 गांवों में काम पूरा, 9 में काम जारी और 2 गांवों में टेंडर प्रक्रिया चल रही है। बाकी गांवों के लिए जल्द एस्टीमेट तैयार होगा। कई गांवों में सीवर लाइन और पेयजल पाइपलाइन तो बिछा दी गई है लेकिन ग्रामीणों को इनका कोई लाभ नहीं मिल रहा है। कनेक्शन नहीं मिलने और जलापूर्ति शुरू न होने से ग्रामीण सालों से परेशान है।
सीईओ करेंगे गांव-गांव जाकर निरीक्षण
प्राधिकरण के सीईओ राकेश कुमार सिंह ने स्पष्ट किया है कि वह खुद गांवों में जाकर कार्यों का निरीक्षण करेंगे। जिन गांवों में काम अधूरा है या गड़बड़ी की शिकायत मिलेगी वहां सुधार कराया जाएगा। आवंटित बजट और खर्च की गई राशि के अनुपात में हुए कार्यों का तथ्यात्मक मूल्यांकन किया जाएगा।
ग्रामीणों को मिलेगी सीवर व पेयजल की सुविधा
सीईओ के इस दौरे से ग्रामीणों को उम्मीद है कि जो सुविधाएं कागजों में है वह अब वास्तव में मिलने लगेंगी। खासकर सीवर कनेक्शन और पेयजल आपूर्ति की मांग को अब जल्द मंजूरी मिल सकती है। ग्रामीण लंबे समय से इन मूलभूत सुविधाओं की मांग कर रहे हैं।
स्मार्ट गांवों में प्रस्तावित सुविधाएं
यमुना प्राधिकरण ने प्रत्येक गांव के लिए 8 से 10 लाख रुपये तक का बजट तय किया है। जिन सुविधाओं का वादा किया गया है उनमें पक्की सड़कें, सीवर व्यवस्था, पेयजल पाइपलाइन, स्ट्रीट लाइट्स, ठोस एवं तरल अपशिष्ट निस्तारण प्रणाली, खेल मैदान, ई-लाइब्रेरी, कौशल विकास केंद्र, इंटरनेट कनेक्टिविटी शामिल है।
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