WTC 2023 Final: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले जा रहे मैच में शुभमन गिल(Shubman Gill) के विकेट को लेकर शुरू हुआ विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है। मैच में 444 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत अच्छी रही। हालांकि 8वें ओवर में शुभमन गिल कैमरन ग्रीन को कैच थमा बैठे। इस कैच को लंबे समय तक चेक करने के बाद थर्ड अंपायर ने सही ठहराया। जिस पर कई पूर्व क्रिकेटर्स और एक्सपर्ट्स भी हैरान दिखे। ऐसे में सवाल ये भी उठ रहा है कि मैदानी अंपायरों ने सॉफ्ट सिग्नल का उपयोग क्यों नहीं किया?
गिल के केस में क्यों नहीं किया गया सॉफ्ट सिग्नल का उपयोग?
शुभमन गिल का कैच पकड़ने के बाद ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने जैसे ही अपील की। तो मैदानी अंपायर ने बिना सॉफ्ट सिग्नल दिए फैसला थर्ड अंपायर को भेज दिया। इस बीच आईसीसी ने गिल को सॉफ्ट सिग्नल नियम का फायदा नहीं मिलने के पीछे की वजह को बताते हुए कहा कि सॉफ्ट सिग्नल नियम को जून के शुरुआत से ही हटा दिया गया था। जून 2023 के बाद से ये नियम किस भी टेस्ट में लागू नहीं होगा।यही वजह रही कि मैदानी अंपायर ने सॉफ्ट सिग्नल का सहारा नहीं लिया। कुछ ही दिन पहले इंग्लैंड और आयरलैंड के बीच खेले गए टेस्ट के साथ ही नए नियम लागू हो गए थे।
A huge moment in the #WTC23 Final was decided without an initial 'soft signal' for the third umpire 👀
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---विज्ञापन---— ICC (@ICC) June 11, 2023
क्या था सॉफ्ट सिग्नल नियम?
आईसीसी द्वारा खत्म किए गए सॉफ्ट सिग्नल नियम के मुताबिक अगर कोई कैच संदिग्ध रहता था, तब फील्ड अंपायर अपना फैसला सुनाते थे, उसके बाद मामला थर्ड अंपायर के पास जाता था। उस दौरान अगर थर्ड अंपायर भी फैसला लेने में कंफ्यूज होते थे या फिर उन्हें कोई निर्णायक सबूत नहीं मिल पाता था तो फील्ड अंपायर का ही फैसला फाइनल माना जाता था। लेकिन अब जब सॉफ्ट सिग्नल खत्म कर दिया गया है, तो मैदानी अंपायर का फैसला भी इसी के साथ चला गया। अब इस तरह के मामले में थर्ड अंपायर का फैसला ही मान्य होगा।