Wrestler Virender Singh: भारतीय कुश्ती महासंघ का नया अध्यक्ष संजय सिंह को बनाए जाने के बाद से एक बार फिर से पहलवानों में गुस्सा देखने को मिल रहा है। पहले ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कुश्ती छोड़ने का ऐलान किया तो उसके बाद पहलवान बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री अवॉर्ड लौटा दिया। अब इस कड़ी में एक और पहलवान का नाम जुड़ गया है। रेसलर वीरेंद्र सिंह ने पहलवानों का सपोर्ट करते हुए अपना पद्मश्री अवॉर्ड वापस लौटाने की बात कही है।
वीरेंद्र सिंह ने पदक लौटाने की दी चेतावनी
वीरेंद्र सिंह ने अपने एक्स अकाउंट पर ट्वीट करके लिखा, मैं भी अपनी बहन और देश की बेटी के लिए पद्मश्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लौटा दूंगा। मुझे आपकी बेटी और अपनी बहन साक्षी मलिक पर गर्व है। इसके अलाव देश के सबसे उच्च खिलाड़ियों से भी अनुरोध करुंगा कि वो भी इस पर अपना निर्णय दें।
मैं भी अपनी बहन और देश की बेटी के लिए पदम् श्री लौटा दूँगा, माननीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी को, मुझे गर्व है आपकी बेटी और अपनी बहन @SakshiMalik पर… जी क्यों…?
पर देश के सबसे उच्च खिलाड़ियों से भी अनुरोध करूँगा वो भी अपना निर्णय दे…@sachin_rt @Neeraj_chopra1 pic.twitter.com/MfVeYdqnkL
---विज्ञापन---— Virender Singh (@GoongaPahalwan) December 22, 2023
इससे पहले शुक्रवार को रेसलर बजरंग पूनिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर अपना पद्मश्री लौटा दिया था। इसको लेकर पहले बजरंग पूनिया ने ट्वीट करके जानकारी दी और फिर दिल्ली के कर्तव्य पथ पर जाकर फुटपाथ पर अपना पदक रख दिया।
ये भी पढ़ें:- IPL 2024: हार्दिक पांड्या होंगे बाहर, तो कौन बनेगा MI का कप्तान? क्या रोहित होंगे दावेदार
21 दिसंबर को हुआ था नए अध्यक्ष का ऐलान
21 दिसंबर को भारतीय कुश्ती महासंघ के नए अध्यक्ष का ऐलान हुआ था। पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह शरण के करीबी संजय सिंह को ये जिम्मेदारी मिली। संजय सिंह साल 2008 में कुश्ती संघ से जुड़े थे। उन्हें पहले वाराणसी जिला कुश्ती संघ का अध्यक्ष बनाया गया था। जिसके बाद अब उनको एक बड़ी जिम्मेदारी मिली है।
इसके बाद ही पहलवानों में फिर आक्रोश देखने को मिला। जिसके बाद साक्षी मलिक ने मीडिया के सामने आकर कहा कि हम चाहते थे कि भारतीय कुश्ती महासंघ का नया अध्यक्ष किसी महिला को बनाया जाए लेकिन फिर से बृजभूषण जैसे आदमी को ही अध्यक्ष बना दिया। हमने बृजभूषण के खिलाफ 40 दिन तक लड़ाई लड़ी, लेकिन हमकों इंसाफ नहीं मिला।