---विज्ञापन---

मां की आंखों में देखे आंसू, कोरोना का हुए शिकार, ऐसा रहा है भारत को पैरालंपिक में गोल्ड जिताने वाले प्रवीण कुमार का सफर

पैरालंपिक ओलंपिक 2024 में प्रवीण कुमार ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए इतिहास रच दिया। उन्होंने हाई जंप टी-64 में भारत को 9वां गोल्ड मेडल जिताया है। हालांकि उनका सफर आसान नहीं था। इसके लिए उन्होंने अपनी मां की आखों में आंसू तक देखे हैं।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Sep 6, 2024 19:14
Share :

पेरिस पैरालंपिक 2024 में लगातार भारतीय खिलाड़ी कमाल का प्रदर्शन कर रहे हैं। लगभग हर विभाग में खिलाड़ी अपना जलवा बिखेर रहे हैं। पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत की ओर से हाई जंप में प्रवीण कुमार ने शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। उनके मेडल के बाद भारत ने 26वां मेडल अपने नाम किया है। हालांकि प्नवीण का ये सफर आसान नहीं रहा है। उन्होंने भारत को गोल्ड जिताने से पहले अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है। ऐसे में आईए जानते हैं उनके करियर पर एक नज़र।

प्रवीण कुमार ने रचा इतिहास

पेरिस पैरालंपिक 2024 के आठवें दिन भारत को गोल्ड मिल गया है। पुरुष की हाई जंप टी-64 स्पर्धा में प्रवीण कुमार ने गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रौशन कर दिया। प्रवीण ने 2.08 की कूद में पहला स्थान हासिल किया। पेरिस पैरालंपिक में अब तक लगभग भारतीय खिलाड़ियों ने जान की बाज़ी लगाते हुए कमाल किया है। बता दें कि भारत ने अब तक 6 गोल्ड, और सिल्वर के अलावा 11 ब्रॉन्ज मेडल हासिल कर लिए है।

---विज्ञापन---

टोक्यो में जीता रजत

पेरिस पैरालंपिक से पहले प्रवीण भारत को टोक्यो में रजत पदक जीता चुके हैं। 2.07 मीटर की छलांग लगाकर प्रवीण ने नए एशियाई रिकॉर्ड को अपने नाम करते हुए रजत पदक जीताया था। प्रवीण, मरियप्पण थंगवेलु के बाद पैरालंपिक में हाई जंप प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं।

आसान नहीं था सफर

उत्तर प्रदेश के जेवर शहर से 6 किमी दूर गोविंदगढ़ गांव में प्रवीण को साल 2016 में हाई जंप का शौक हुआ। इसके बाद उन्होंने साल 2016 में ही अपने स्कूल से जिला स्तर पर प्रतिनिधित्व किया। साल 2017 में उन्होंने छत्तीसगढ़ में आयोजित 22वें सीबीएससी क्लस्टर और उसके बाद नेशनल एथलेटिक्स मीट गोल्ड मेडल जीता और बता दिया कि वो बड़े मैच के खिलाड़ी हैं। इस प्रतियोगिता में उन्होंने 1.84 मीटर की छलांग लगाई थी।

कोरोना के हुए शिकार

प्रवीण को भी कोरोना संक्रमण का शिकार होना पड़ा। मार्च में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रवीण के कोच सतपाल सिंह ने उन्हें गांव भेज दिया। हालांकि गांव आने के बाद वह कोरोना संक्रमित हो गए। उन्होंने खुद को अपने घर के दूसरे कमरे में ही 21 दिनों के लिए क्वारंटीन कर लिया। प्रवीण की मां निर्दोष देवी ने बताया था कि जब वो कोरोना से जूझ रहे थे तब वह अपनी मुझे  खाना रखकर लौट जाने के लिए कहते थे। दूसरे कमरे की खिड़की से अपने बेटे प्रवीण को खाना खाते देख उनकी मां के आंखो में आंसू आते थे। हालांकि प्रवीण का सपना भारत के लिए गोल्ड जीतने का था. इसके लिए वह किसी भी कुर्बानी को देने के लिए तैयार थे. अब उनका सपना पूरा हो गया है।

 

HISTORY

Written By

News24 हिंदी

First published on: Sep 06, 2024 06:04 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें