Jack Hobbs: इंग्लैंड ने दुनिया को क्रिकेट खेलना सिखाया और कई स्टार प्लेयर भी दिए। कुछ खिलाड़ी ऐसे रहे हैं जिन्होंने क्रिकेट खेलते हुए कई ऐसे रिकॉर्ड बनाए थे जिनको आज तक कोई तोड़ नहीं पाया है। ऐसे दिग्गजों को आज भी उनके बड़े कारनामों के लिए याद किया जाता है। ऐसे ही एक इंग्लैंड के महान बल्लेबाज थे जैक हॉब्स, जिन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में गेंदबाजों की जमकर धुनाई करते हुए कई बड़े रिकॉर्ड्स अपने नाम किए थे। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनके रिकॉर्ड को आज तक कोई खिलाड़ी तोड़ नहीं पाया है। जैक हॉब्स का जन्म 16 दिसंबर 1882 को इंग्लैंड में हुआ था।
फर्स्ट क्लास क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन
जैक हॉब्स ने साल 1905 में सरे के लिए अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू किया था। पहले ही मैच में उन्होंने साबित कर दिया था कि आने वाले समय में ये खिलाड़ी बड़े-बड़े रिकॉर्ड्स अपने नाम करने वाला है। पहले फर्स्ट क्लास मैच में जैक हॉब्स ने पहली पारी में 88 और दूसरी पारी में शानदार शतक लगाया था। इसके बाद फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनका प्रदर्शन लगातार शानदार होता चला गया था, फिर साल 1908 में जैक हॉब्स को इंटरनेशनल क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना डेब्यू करने का मौका मिला था। इस मैच की पहली पारी में हॉब्स ने 83 और दूसरी पारी में 28 रन बनाए थे और इस मैच में इंग्लैंड ने जीत हासिल की थी।
61 Tests, 5410 runs, average 56.94.
61,760 first class runs, 199 centuries – the most of any player in history.#OnThisDay in 1882, England legend Jack Hobbs was born. pic.twitter.com/zremDD0UHf— ICC (@ICC) December 16, 2017
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फर्स्ट क्लास क्रिकेट में जैक हॉब्स ने 834 मैच खेले थे, जिसकी 1325 पारियों में बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने 61 हजार 760 रन बनाए थे। उनका ये रिकॉर्ड आजतक फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कोई खिलाड़ी नहीं तोड़ पाया है। इस दौरान हॉब्स ने 199 शतक और 273 अर्धशतक लगाए थे। फर्स्ट क्लास में उनका बैटिंग औसत 50.70 का था, वहीं उनका बेस्ट स्कोर नाबाद 316 रन का रहा था।
ऐसा रहा था इंटरनेशनल क्रिकेट करियर
जैक हॉब्स ने इंग्लैंड के लिए 61 टेस्ट मैच खेले थे। जिसमें बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने 5410 रन बनाए थे। इस दौरान उनके बल्ले से 15 शतक, 28 अर्धशतक और 1 दोहरा शतक निकला था। इस दौरान उनका बल्लेबाजी औसत 56.95 का रहा था। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जैक हॉब्स ने अपना टेस्ट डेब्यू किया था और साल 1930 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही उन्होंने अपने करियर का आखिरी टेस्ट मैच खेला था।
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