AI Technology को लेकर तमाम चर्चाएं हो रही हैं। एआई के फायदे व नुकसानों को लेकर अनुमान लगाए जा रहे हैं। एआई टेक्नोलॉजी को ईजाद करने वाले वैज्ञानिकों में शामिल एलन ट्यूरिंग ने तो यहां तक कह दिया है कि एआई का अविष्कार करना उनसे हुई सबसे बड़ी गलती है। हाल ही इसी प्रकार की आशंकाएं जाहिर करते हुए एआई के वैज्ञानिक ज्योफ्री हिंटन ने गूगल से इस्तीफा दे दिया। इस लेख में एआई टेक्नोलॉजी के उन पहलुओं पर चर्चा करेंगे जो मानवता के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।
इस तकनीक का सबसे बड़ा असर पढ़े लिखे वर्ग पर पड़ेगा। यह तकनीक भविष्य में अपना प्रभाव किस छोड़ेगी अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। हालांकि यह पत्रकारों, लेखकों, साहित्यकारों, कंटेट लेखकों, वकीलों, डॉक्टरों, सॉफ्टवेयर इंजीनियरों, अर्थिक जानकारों, अध्यापकों, वीडियों एडिटरों के काम को छीनने के लिए तत्पर दिखायी दे रही है।
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अभी तो एआई तकनीक की शुरूआत है, समय के साथ यह तकनीक परिपक्व होगी, इसकी कुशलता मानव के मुकाबले कहीं अधिक होगी। एआई तकनीक की इन्हीं विशेषताओं ने खतरों की आशंकाओं को जन्म दिया है। तकनीकी विशेषज्ञ एआई के नियमन की बता करने लगे हैं।
सिर्फ नौकरी ही नहीं, AI के साथ जुड़े हैं कई अन्य खतरे भी
AI के जरिए बनाई गई Deep Fake videos यानी किसी चेहरे का इस्तेमाल करके बनाई गई नकली वीडियोज ने भी इस तकनीक प्रति आशंकाएं पैदा कर दी हैं। एआई से बनी डिप फेक वीडियोज के जरिए किसी भी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचायी जा सकती है। इंटरनेट की दुनिया में उसे तेजी से वायरल किया जा सकता है। किसी राजनेता का डिप फेक वीडियो बनाकर उसके चरित्र का हनन करने के साथ देशों की राजनीतिक व्यवस्था को भी प्रभावित किया जा सकता है। डिप फेक वीडियोज के जरिए किसी महिला या पुरूष को ब्लैकमेल भी किया जाता है।
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एआई तकनीक के ये ऐसे खतरे हैं, जिन्हें सोचने मात्र से व्यक्ति भयभीत हो सकता है। एआई तकनीक के विकास के साथ नैतिकता और कानून के मुद्दे भी अहम हो जाते हैं। तकनीक विकास आवश्यक है, लेकिन उसके नकारात्मक परिणामों पर प्रभावी अंकुश भी जरूरी है।
– डॉ. आशीष कुमार
(लेखक इंटरनेशनल स्कूल ऑफ मीडिया एंड एंटरटेनमेंट स्टडीज (ISOMES) में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)