डॉ. आशीष कुमार। ब्रह्मांड रहस्यों से भरा हुआ है। ब्रह्मांड में अरबों-खरबों आकाशगंगाएं हैं। उन आकाशगंगाओं में अरबों तारे हैं, उन तारों के चारो ओर पृथ्वी जैसे खरबों ग्रह चक्कर लगा रहे हैं। यदि इस आधार पर पृथ्वी के अस्तित्व को आंका जाए, तो उसकी पहचान रेगिस्तान में रेत के एक कण से भी कम है। जिस प्रकार ब्रह्मांड को अनंत कहा जाता है, उसी प्रकार इसके रहस्य भी अनंत और अनगिनत हैं। इस लेख में ब्रह्मांड से जुड़े ऐसे ही कुछ रहस्यों के बारे में बताएंगे, जिन्हें बड़े से बड़े वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए।
ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई?
सबसे बड़ा सवाल यह आता है कि यह ब्रह्मांड अस्तित्व में कैसे आया? इसकी शुरुआत कैसे हुई? ब्रह्मांड की उत्पत्ति के संबंध में वैज्ञानिकों ने अनेक थ्योरियां दी हैं। आधुनिक समय में सबसे प्रचलित थ्योरी ‘बिग बैंग थ्योरी’ है, जिसके सहारे ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में बताने का प्रयास किया जाता है।
बेल्जियम के खगोलविद जार्ज हेनरी लेमैत्रे ने बिग बैंग सिद्धांत को दिया था। इस थ्योरी के अनुसार करीब साढ़े चौदह अरब साल पहले ब्रह्मांड का संपूर्ण द्रव्यमान और ऊर्जा एक सूक्ष्म बिंदु के रूप में सघनभूत था। उस बिंदू में जोरदार विस्फोट हुआ और ब्रह्मांड की रचना हुई। इस बिग बैंग यानी बड़े विस्फोट के साथ समय, मैटर और स्पेस अस्तित्व में आए। इस थ्योरी के अनुसार बिग बैंग की घटना के बाद से ब्रह्मांड लगातार फैल रहा है।
यह भी पढ़ें: कौन-से बच्चे होते हैं सबसे प्रतिभाशाली?
हालांकि कुछ वैज्ञानिक बिग बैंग थ्योरी से सहमत नहीं हैं। उनके तर्क हैं कि किसी घटना के घटित होने के लिए समय और स्पेस की आवश्यकता होती है। जब बिग बैंग की घटना से पूर्व समय ही नहीं था तो बिग बैंग की घटना किस प्रकार घटित हुई? बिग बैंग थ्योरी के पास ऐसे है ही कई ठोस सवालों के जवाब नहीं हैं।
ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे स्टीफन हाकिंस का मानना था कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति स्वतः स्फूर्त तरीके से हुई है। बिग बैंग थ्योरी मौजूदा जानकारियों में सबसे सटीक सिद्धांत है। हालांकि इसके पास कई सवालों के जवाब नहीं हैं।
मौजूदा ज्ञान के आधार पर अभी तक कोई भी सिद्धांत ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में सटीकता से नहीं बता पाया है। खगोलविदों के दिए गए सिद्धांतों में तमाम अंतर्विरोध हैं। इसलिए आज भी ब्रह्मांड की उत्पत्ति रहस्य बनी हुई है।
डार्क मैटर और डार्क एनर्जी का रहस्य
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस इस ब्रह्मांड का 95 फीसदी हिस्सा डार्क मैटर और डार्क एनर्जी से बना हुआ है। बाकी का 5 फीसदी हिस्सा तारों, ग्रह, उपग्रहों, पिण्डों आदि से बना हुआ है।
आधुनिक थ्योरियों के अनुसार ब्रह्मांड को बनाए रखने के लिए डार्क एनर्जी और डार्क मैटर का अत्यधिक महत्व है। इसके बिना पूरा ब्रह्मांड कोलेप्स कर जाएगा। डार्क मैटर ऐसा पदार्थ होता है जो न तो प्रकाश का उत्सर्जन करता है और न ही प्रकाश को अवशोषण। डार्क मैटर की प्रकाश के प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं होती है।
अभी तक विज्ञान ऐसा उपकरण नहीं बना पाया है, जिससे इस मैटर को देखा या अध्ययन किया जा सके। वैज्ञानिक डार्क मैटर और डार्क एनर्जी के अस्तित्व को सैद्धांतिक रूप से तो स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन इसके अस्तित्व को किसी भी प्रकार से सिद्ध नहीं कर पाए हैं यह अभी तक रहस्य बना हुआ है।
यह भी पढ़ें: अब केवल हाथ में लेने से ही चार्ज हो जाएंगे आपके स्मार्टफोन और लैपटॉप
ब्रह्मांड की विशालता और सीमा का ज्ञान
अभी तक खगोलविद ब्रह्मांड की विशालता को लेकर कोई सटीक जानकारी दे पाएं हैं। ब्रह्मांड की अनंनता और सीमा के बारे में भी वैज्ञानिकों के अलग-अलग दावे हैं। ब्रह्मांड की अनंनता के विरोध में तर्क देने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि अनंनता का सिद्धांत भौतिक जगत में संभव नहीं है।
इस भौतिक ब्रह्मांड की कोई न कोई सीमा अवश्य होगी। वहीं, अनंनता का समर्थन करने वाले वर्ग का दावा है कि यदि ब्रह्मांड की सीमा है तो उस सीमा के पार भी कुछ जरूर होगा। क्योंकि, एक सीमा का निर्धारण करते वक्त दूसरी सीमा स्वतः प्रारंभ हो जाती है, जोकि स्वतः ही ब्रह्मांड की अनंनता की पुष्टि करता है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की एक टीम ने 150 बिलियन्स आकाशगंगाओं की मान्यताओं को खारिज करते हुए कहा है कि ब्रह्मांड की यह कल्पना ब्रह्मांड के विस्तार के सामने एक मटर के दाने के समान है यह ब्रह्मांड इस कल्पना से कहीं अधिक विस्तृत है। अंततः कहा जा सकता है कि मौजूदा विज्ञान अभी ब्रह्मांड के विशालता के बारे में अभी तक कोई सटीक जानकारी नहीं दे पाया है।
यह भी पढ़ें: नोएडा में स्थापित होगा सुपर कंप्यूटर, 7 दिन पहले मिल जाएगी मौसम की सटीक जानकारी
ब्लैक होल एंड व्हाइट होल
ब्लैक होल को इस ब्रह्मांड के सबसे सघन पदार्थों में से एक माना जाता है। ब्लैक होल में अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण शक्ति होती है। इसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसकी शक्ति से प्रकाश भी नहीं बच पाता है।
इस घटना को विज्ञान की भाषा में इवेंट होराइजन कहा जाता है। ब्लैक होल का निर्माण विशाल तारों में सुपरनोवा या विशाल विस्फोट के बाद होता है। जिससे तारे का द्रव्यमान बहुत छोटे स्थान में संघनित हो जाता है और उसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति बहुत अधिक हो जाती है।
ब्लैक होल को साधारण आंखों से नहीं देखा जा सकता है क्योंकि यह प्रकाश को वापस नहीं आने देता है। जबकि किसी वस्तु को देखने का सिद्धांत प्रकाश के परावर्तन नियम पर निर्भर करता है। परावर्तित प्रकाश आंख के रेटिना से टकराकर चित्र का निर्माण करता है।
कुछ थ्योरिज के अनुसार ब्लैक होल ब्रह्मांड के दूसरे आयाम में जाने का रास्ता हो सकता है। इसके अनुसार ब्रह्मांड में हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। ब्लैक होल का दूसरा सिरा ब्रह्मांड के दूसरे आयाम में खुलता है। वैज्ञानिक ब्लैक होल का अध्ययन कर रहे हैं। नए-नए सिद्धांत सामने आ रहे हैं। अभी इनके बारे जानना बहुत कुछ बाकी है।
एक सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड द्वंद्वात्मक है, जैसे जीवन की द्वंद्वात्मक प्रतिक्रिया मृत्य है। प्रकाश का विपरीत अंधेरा है। इसी प्रकार ब्रह्मांड का द्वंद्व रूप होगा। जहां इस ब्रह्मांड की प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया होती होगी। वहां चीज उल्टी होगा। भौतिकी के प्रत्येक नियम विपरीत तरीके से काम कर रहे होंगे। इसी सिद्धांत के आधार पर वैज्ञानिक ब्लैक होल के साथ व्हाइट होल की बात करने लगे हैं।