Space News: हमारी पृथ्वी पर जब भी कोई तूफान आता है तो उसमें सौ से 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक की रफ्तार से हवाएं चलने लगती हैं। सब अस्त-व्यस्त हो जाता है और चारों तरफ बर्बादी नजर आने लगती है। आम तौर पर इन तूफानों से कुछ किलोमीटर का एरिया भी प्रभावित होता है और ये कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों में ही खत्म भी हो जाते हैं। लेकिन क्या हो अगर तूफान सैंकड़ों-हजारों किलोमीटर लंबा हो, हवाएं सैंकड़ों किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही हों और तूफान एक दिन या एक हफ्ते नहीं चले बल्कि कई सालों तक चलता रहें।
एक बात निश्चित है कि जब भी ऐसा तूफान आएगा तो पीछे कुछ नहीं बचेगा। बड़े-बड़े पहाड़ भी ऐसे तूफानों में भयंकर तरीके से प्रभावित हो सकते हैं। सौभाग्य से पृथ्वी पर ऐसे महाभयंकर तूफान नहीं आते लेकिन हमारे सौरमंडल के कई ग्रहों पर ऐसे तूफान न केवल आते हैं वरन वो कई बार 20 वर्षों से भी अधिक समय तक जारी रहते हैं।
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सौरमंडल के इन 2 ग्रहों पर आते हैं महाशक्तिशाली तूफान
हमारे सौरमंडल में बृहस्पति और शनि दो ऐसे ग्रह हैं जो पूरी तरह से गैसीय हैं और वहां असामान्य परिस्थितियां देखने को मिलती हैं। हाल ही NASA द्वारा एकत्रित किए गए डेटा के अनुसार बृहस्पति ग्रह पर एक 10,000 मील (लगभग 15000 किलोमीटर) लंबा एंटीसाइक्लोन तूफान चल रहा है।
इस तूफान को शुरू हुए कई सौ वर्ष बीत चुके हैं और अभी कितने समय चलेगा, इस बारे में भी कोई जानकारी नहीं है। यह एंटीसाइक्लोन इतना बड़ा है कि धरती पर टेलिस्कोप से भी इसे देखा जा सकता है और यह कई सौ वर्षों से चल रहा है। यह एक विशाल लाल धब्बे की तरह दिखाई देता है, इसलिए इसे Great Red Spot के नाम से भी जाना जाता है।
शनि ग्रह पर आते हैं पृथ्वी जैसे लेकिन कई गुणा शक्तिशाली तूफान
वैज्ञानिकों के अनुसार (Space News) शनि ग्रह पर अभी इस तरह का कोई अतिविशाल और शक्तिशाली तूफान देखने को नहीं मिला है। लेकिन वहां भी बहुत ही शक्तिशाली और काफी लंबे समय तक चलने वाले तूफान आते हैं। इन तूफानों को मेगास्टोर्म कहा जाता है। ये काफी हद तक धरती पर आने वाली हरीकेन्स की तरह ही होते हैं जो हाइड्रोजन और हीलियम से मिलकर बने हैं। इन तूफानों में कुछ मात्रा में मीथेन, जल तथा अमोनिया वाष्प भी होती हैं।
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शनि ग्रह पर आने वाले ये मेगास्टोर्म धरती पर आने वाले हरीकेन्स की तुलना में काफी विशाल होते हैं और ये लगभग 20 से 30 वर्षों तक एक्टिव रह सकते हैं। फिलहाल वैज्ञानिकों को यह पता नहीं चल पाया है कि शनि ग्रह के ये मेगास्टोर्म क्यों आते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि शनि ग्रह पर अमोनिया काफी मात्रा में है। ऐसे में जब ग्रह के वातावरण में अमोनिया वाष्पीकरण और घनीकरण (बारिश की बूंदों के समान बनना) की प्रक्रिया के द्वारा ऊपर से नीचे आने लगती है तब वातावरण में हलचल होने लगती है और यही हलचल बाद में मेगास्टोर्म में बदल जाती है।