Dogs related new scientists reserch : बीते कल की बुरी यादें कुछ लोगों का ताउम्र पीछा नहीं छोड़ती हैं। ऐसी भयावह यादों से कुछ लोग डिप्रेशन में भी चले जाते हैं। अब ऐसे लोगों के लिए ये अच्छी खबर है। कनाडा की डलहौजी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में यह दावा किया है कि खास तौर पर ट्रेंड किए गए कुत्ते इंसानों की सांस को सूंघकर डिप्रेशन की स्थिति का पता लगा सकते हैं। इससे डिप्रेशन से गुजर रहे शख्स का आसानी से इलाज किया जा सकेगा।बता दें कि कुत्तों को इसके लिए विशेष रूप से ट्रेनिंग दी जाएगी।
ट्रेंड कुत्ते बताएंगे इंसानों में डिप्रेशन की स्थिति
कुत्ते ना सिर्फ इंसान की फीलिंग को समझते हैं ,मौका पड़ने पर वफादारी भी बखूबी निभाते हैं। वैज्ञानिकों की नई रिसर्च के मुताबिक खास तौर पर ट्रेंड कुत्ते इंसानों की सांस को सूंघकर डिप्रेशन की स्थिति का पता लगाएंगे।डलहौजी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के फ्रंटियर्स इन एलर्जी जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक पोस्ट ट्रूमैटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर के लक्षणों के साथ डिप्रेशन की स्थिति का सामना कर रहे लोगों को इससे बड़ी राहत मिलेगी।
वैज्ञानिकों ने 26 लोगों पर की रिसर्च
वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में 26 ऐसे लोगों को शामिल किया तो बुरी यादों से ग्रसित थे। रिसर्च में लोगों को एक फेसमास्क में शांत सिचुएशन में तो दूसरे फेसमास्क में अपने बुरे अनुभवों को याद करते हुए डिप्रेशन में अपनी सांस के नमूने देने को कहा गया। इस रिसर्च में 25 प्रशिक्षित कुत्तों को चुना गया।हालांकि केवल दो कुत्ते आइवी और कैली सांस के नमूनों को अंतर करने में 90 पर्सेंट तक सफल रहे। इस रिसर्च में ईवी नाम के कुत्ते ने जहां 74 प्रतिशत तो वहीं कैली नाम के कुत्ते ने 81 पर्सेंट रिजल्ट दिया।
सांस सूंघकर PTSD का पता लगा सकते हैं कुत्ते
बता दें कि पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर एक प्रकार की मानसिक बीमारी है। जो तनावपूर्ण घटनाओं से उत्पन्न हो सकती है। जो लोग तनाव लेते है, डिप्रेशन की स्थिति में रहते हैं। ऐसे लोग अक्सर सपनों से भी परेशान रहते हैं। रिसर्च से यह पता चलता है कि कुत्ते पीटीएसडी के कारण आने वाले तनाव को सूंघने में सक्षम हैं। ट्रेंड कुत्ते सांस को सूंघकर बता देंगे कि शख्स डिप्रेशन में हैं कि नहीं ।