Science News: डॉ. आशीष कुमार। सन 1974 में वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिन्स ने कहा था कि एक दिन ब्रह्माण्ड खत्म होकर शून्य में विलीन हो जाएगा। स्टीफन हॉकिन्स ने कहा था कि बड़े-बड़े तारे मृत्यु के बाद ब्लैक हॉल में परिवर्तित हो जाते हैं। ब्लैंक हॉल में अत्यधिक शक्ति होती है। इस शक्ति के कारण ब्लैक हॉल अपने आसपास के ग्रह और पिंड़ों को भी निगल जाता है। लेकिन समय के साथ ब्लैक हॉल की उर्जा भी खत्म होने लगती है। आधुनिक समय में इस प्रक्रिया को स्टीफन रेडिएशन कहा जाता है। यह ब्लैक होल के अस्तित्व को शून्य में परिर्वतन होने की प्रक्रिया होती है।
हाल में ही नीदरलैंड की रैडबाउन्ड यूनिवर्सिटी में किए गए अध्ययन के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया है कि केवल ब्लैक हॉल ही नहीं बल्कि एक दिन संपूर्ण ब्रह्माण्ड ही गायब हो जाएगा और उसका द्रव्यमान शून्य हो जाएगा है। इस अध्ययन को शोध पत्रिका फिजिकल रिव्यू लेटर में प्रकाशित किया गया है। इसे स्टीफन हॉकिन्स की ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और विनाश के संबंध में दी गई थ्योरी का विस्तार के रूप में माना जा रहा है।
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भारतीय वैदिक साहित्य ब्रह्माण्ड के उत्पत्ति – विनाश के बारे में क्या कहता है?
भारतीय वैदिक साहित्य में ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के बारे मे लिखा हुआ है कि ब्रह्माण्ड शून्य से उत्पन्न हुआ है और एक दिन फिर शून्य में विलीन हो जाएगा। स्टीफन हॉकिन्स का भी ब्रह्माण्ड की रचना और विनाश के बारे में भी यही कहना था। वैदिक साहित्य में ब्रह्माण्ड के पूरी तरह शून्य में विलीन होने की प्रक्रिया को महाप्रलय कहा गया है। समय अंतराल पर आकाशगंगाओं, ग्रहों आदि की विनाश प्रक्रिया को आंशिक प्रलय कहा गया है, जो ब्रह्माण्ड में हर समय कहीं न कहीं घटित होती रहती हैं। जिसे आधुनिक यंत्रों (Science News) के जरिए देखा जा सकता है। नासा आदि संस्थाओं के जरिए खबरें आती रहती हैं कि टेलीस्कोप के कैमरे में ब्लैक हॉल द्वारा ग्रह को निगले जाने की घटना को कैद किया गया।
(लेखक इंटरनेशनल स्कूल ऑफ मीडिया एंड एंटरटेनमेंट स्टडीज (ISOMES) में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)