Health News: भारतीय धार्मिक परंपरा में बिल्व पत्र को भगवान शिव का प्रिय बताते हुए महिमामंडन किया गया है। जब तक बाबा भोलेनाथ को बिल्व पत्र नहीं चढ़ाए जाते, तब तक उनकी पूजा अधूरी ही मानी जाती है। अब आयुर्वेद में इस हिंदुओं के इस पवित्र वृक्ष को लेकर कई शोध किए जा रहे हैं। पंजाब और कानपुर के शोधकर्ताओं की एक टीम पिछले 4 वर्षों से लगातार इस पर रिसर्च कर रही है जिसमें कई चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं।
डायबिटीज, अस्थमा सहित कई रोगों का होगा नाश
रिसर्च टीम में शामिल डॉ. शैलजा एवं डॉ. सौरभ ने वर्ष 2019 में अपना शोध शुरु किया था। इसमें अलग-अलग जगहों से बिल्व पत्र, पत्ती, छाल आदि के सैंपल लेकर उनका टिश्यू कल्चर किया गया। इसके अलावा बिल्व अर्क और पाउडर भी बनाकर टेस्टिंग की गई। टेस्टिंग के दौरान बिल्व वृक्ष के रोग प्रतिरोधी गुणों के बारे में पता चला। शोध के अनुसार बिल्व पत्र से अस्थमा, डायबिटीज और डायरिया जैसी बीमारियों का समूल नाश किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें: मुंहासों का भी कारगर इलाज है बर्थ कंट्रोल पिल्स, लेकिन रखनी होगी ये सावधानी
शोध में शामिल बॉयोटेक्नोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. सौरभ ने कहा कि इस वृक्ष का प्रत्येक हिस्सा एक औषधि (Health News) है और अलग-अलग रोगों की रोकथाम के लिए उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अभी अलग-अलग जगहों पर बिल्व पत्र के चूर्ण, अर्क और रस का क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है, जिसमें सकारात्मक नतीजे निकल कर सामने आए हैं।
बिल्व वृक्ष में पाए गए ये रोग प्रतिरोधक तत्व
शोध में पाया गया कि इस वृक्ष में फ्लोनॉइड्स, काउमेरिंस और टैनिन जैसे तत्व बहुतायत में हैं। ये सभी अस्थमा, डायरिया, डायबिटीज सहित कई अन्य बीमारियों के इलाज में काम आ सकते हैं। परंपरागत रूप से आयुर्वेद में बिल्व पत्र के चूर्ण तथा अर्क को कई बीमारियों को ठीक करने के लिए काम लिया जा रहा है। आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार बिल्व पत्र से बनी इन दवाओं का कोई साईड इफेक्ट भी नहीं होता है।
यह भी पढ़ें: इन वजहों से बच्चों में आ सकता है कार्डियक अरेस्ट, तुरंत इस उपाय को करने से बचेगी जान
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे डॉक्टरी सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या दूर करने के लिए डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें एवं उनकी सलाह से ही दवा लें।