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Religion

भगवान शिव की पूजा में भूलकर भी न बजाएं शंख, जानिए कारण?

Lord Shiva Puja: हिंदू धर्म में शंख को बेहद ही पवित्र माना गया है। वहीं, भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग वर्जित होता है। आइए जानते हैं कि इसके पीछे क्या कारण है?

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Jul 17, 2025 11:31
Lord Shiva Puja
credit- pexels+freepik

Lord Shiva Puja: हिंदू धर्म में भगवान शिव को देवों का देव महादेव कहा गया है। भगवान शिव की पूजा बेहद ही फलदायी होती है। माना जाता है शिव की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। वहीं, भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग करना शास्त्रों में वर्जित माना गया है। शिव की पूजा यहां तक कि आरती में भी शंख का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

हिंदू धर्म में शंख को पवित्र और मंगलकारी माना जाता है। भगवान विष्णु की पूजा में शंख काफी आवश्यक होता है। भगवान विष्णु स्वयं शंख को धारण करते हैं। शंख को लक्ष्मी का भाई माना जाता है और यह समुद्र मंथन से प्राप्त रत्नों में एक है। विष्णु पुराण और अन्य शास्त्रों के अनुसार शंख की ध्वनि नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और सकारात्मकता लाती है। हालांकि शिव पूजा में इसका उपयोग वर्जित है। इसके पीछे शास्त्रीय और पौराणिक कारण हैं।

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शंखचूड़ दानव का किया था वध

स्कंद पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार शंखचूड़ एक शक्तिशाली दानव था, जो भगवान विष्णु का भक्त था। वह अपनी तपस्या से अजेय हो गया था। कथा के अनुसार, शंखचूड़ का वध भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से किया था। माना जाता है कि शंखचूड़ भगवान विष्णु का भक्त था और उसकी अस्तियों से ही शंख का निर्माण हुआ था। भगवान शिव ने शंखचूड़ का वध किया था, इस कारण भोलेनाथ की पूजा में शंख का प्रयोग नहीं किया जाता है।

भगवान शिव और विष्णु की पूजा में अंतर

शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा में कुछ चीजें अलग होती हैं। शिव तामसिक और वैराग्य के तो भगवान विष्णु सात्विक और ऐश्वर्य के प्रतीक हैं। शंख को सात्विकता और भगवान विष्णु से जोड़ा जाता है, इसलिए इसे शिव की पूजा में शामिल नहीं किया जाता। शिव पूजा में रुद्राक्ष, बिल्व पत्र और भस्म जैसी चीजों का प्रयोग किया जाता है। सांसारिक चीजों को भगवान विष्णु की पूजा में यूज किया जाता है।

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शिवालयों में क्यों नहीं होता है शंखनाद?

शिव को शांति और ध्यान का प्रतीक माना जाता है। शंख की ध्वनि तीव्र और ऊर्जावान होती है, जो विष्णु पूजा की पूजा में प्रयोग होती है। वहीं, शिव की ध्यानमग्न और शांत प्रकृति के हैं, जिस कारण शंखनाद नहीं किया जाता है।

क्या कहता है शिव पुराण?

पद्म पुराण और शिव पुराण के अनुसार, शिव पूजा में कुछ विशिष्ट नियमों का पालन करना चाहिए। शिव पूजा में तुलसी पत्र, कुमकुम, हल्दी और टूटे चावल का प्रयोग नहीं किया जाता है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Jul 17, 2025 11:31 AM

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