---विज्ञापन---

Ganesh Puran Ki Katha: शिव जी ने क्यों किया था सूर्यदेव का वध? किसने दिया था जीवनदान?

Ganesh Puran Ki Katha: सूर्यदेव महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। ऐसा माना जाता है कि एक बार भक्त की रक्षा के लिए भगवान शिव ने सूर्यदेव पर त्रिशूल से प्रहार कर दिया था। आइए जानते हैं त्रिशूल के प्रहार से सूर्यदेव का क्या हुआ ?

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Sep 19, 2024 19:29
Share :
Why did Lord Shiva kill Suryadev

Ganesh Puran Ki Katha: गणेश पुराण में बताया गया है कि एक बार सूर्यदेव और भगवान शिव में युद्ध छिड़ गया। युद्ध के दौरान सूर्यदेव मूर्छित हो गए जिसकी वजह से सारी सृष्टि में अंधेरा छा गया। उसके बाद क्या हुआ चलिए विस्तार से जानते हैं।

गणेश पुराण की कथा

पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार पौराणिक काल में माली और सुमाली नाम के दो राक्षस भाई हुआ करते थे। वे दोनों भाई भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे। एक दिन शिव जी दोनों भाइयों की भक्ति से प्रसन्न होकर उनसे वरदान मांगने को कहा। वरदान में दोनों भाइयों ने भगवन शिव से रक्षा करने का वरदान मांग लिया। उसके बाद दोनों भाई धरती लोक पर अत्याचार करने लगे। जब उन दोनों का धरती लोक से मन भर गया तो वे आकाश की ओर चल दिए। इस बात का पता जब सूर्यदेव को चला तो उन्होंने माली और सुमाली का रास्ता रोक लिया। रास्ता रोकने के बाद दोनों भाई सूर्यदेव से युद्ध करने लगे।

---विज्ञापन---

सूर्यदेव का वध

काफी समय तक जब युद्ध का कोई परिणाम नहीं निकला तो माली और सुमाली ने भगवान शिव से अपनी रक्षा करने को कहा। वरदान के कारण शिव जी को आना पड़ा। वहां आकर शिव जी ने सूर्यदेव से कहा आप इन दोनों भाइयों के रास्ते से हट जाइए, लेकिन सूर्यदेव ने रास्ता नहीं छोड़ा। इसके बाद सूर्यदेव और भगवान शिव में युद्ध शुरू हो गया। युद्ध काफी देर तक चला और अंत में शिव जी ने त्रिशूल से सूर्यदेव पर प्रहार कर दिया। त्रिशूल लगते ही सूर्यदेव के तीन टुकड़े हो गए।

पुनर्जीवित हुए सूर्यदेव

उधर जब सूर्यदेव के पिता महर्षि कश्यप को इस बात का पता चला तो वह तत्काल वहां आ पहुंचे और उन्होंने भगवान शिव को श्राप देते हुए कहा की एक दिन आपको भी इस त्रिशूल से अपने पुत्र का वध करना पड़ेगा। माना जाता है की इसी श्राप की वजह से शिव जी ने गणेश जी का सर धड़ से अलग कर दिया था। श्राप की वजह से भगवान शिव क्रोधित हो गए। यह देख ब्रह्मा जी वहां प्रकट हुए और बोले हे देवाधिदेव ! सूर्य को जीवनदान दीजिये। सूर्यदेव के वध हो जाने के कारण तीनो लोकों में अंधेरा छा गया है। यदि सूर्यदेव को आपने जीवित नहीं किया तो सृष्टि का संतुलन बिगड़ जाएगा। ब्रह्माजी की बातें सुनकर शिव जी का क्रोध शांत हुआ और उन्होंने सूर्यदेव को पुनः जीवित कर दिया।

---विज्ञापन---

ये भी पढ़ें-Jitiya Vrat Katha: जितिया व्रत पर करें इस कथा का पाठ, बच्चों की उम्र और करियर दोनों में होगी वृद्धि!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

HISTORY

Edited By

News24 हिंदी

First published on: Sep 19, 2024 07:29 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें