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Religion

कौन हैं ललिता सखी, क्या है श्रीकृष्ण से उनका कनेक्शन?

Lalita Saptami 2025: 29 अगस्त को ललिता सप्तमी का पर्व मनाया जा रहा है। ललिता सप्तमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के 14 दिन बाद पड़ती है। देवी ललिता राधा रानी की प्रिय सखी हैं। इस कारण ललिता देवी की पूजा करने से राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण और प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Mohit Tiwari Updated: Aug 28, 2025 20:39
Lalita Saptami 2025

Lalita Saptami 2025: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को ललिता सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। देवी ललिता राधा रानी की प्रिय सखी थी। माना जाता है कि इसी दिन उनका प्राकट्य हुआ था। ललिता सप्तमी के अगले ही दिन राधारानी का जन्म हुआ था। इस कारण ललिता सप्तमी के दूसरे दिन राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है।

मान्यता है कि देवी ललिता की पूजा करने से राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण भी प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही भक्तों की सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। कई जगहों पर यह भी मान्यता है कि ललिता सखी राधा रानी की परम भक्त गोपी होने के साथ ही श्रीकृष्ण की 8 पटरानियों में से भी एक हैं। राधा-कृष्ण के प्रति उनकी श्रद्धा ऐसी थी कि उन्होंने अपना सारा जीवन ही भक्ति में समर्पित कर दिया था।

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राधा रानी की सखियों में हैं प्रधान

ललिता सखी राधा रानी की 8 प्रमुख सखियों में प्रधान थीं। वह राधा-कृष्ण की सभी लीलाओं में उनके साथ ही रहती हैं। इसके साथ ही वे गोलोक में निवास में करती हैं। उनका जन्मस्थान ब्रज के पास ऊंचागांव में है। राधा रानी की अन्य सखियों में विशाखा, चित्रा, इंदुलेखा, चंपकलता, रंगदेवी, तुंगविद्या और सुदेवी शामिल हैं। ललिता को राधा की सबसे विश्वासपात्र और घनिष्ठ सहेली माना जाता है, जो उनकी हर लीला में साथ रहती थीं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ललिता का जन्म बरसाना के पास करेहला गांव में हुआ था, और बाद में उनके पिता उन्हें वृंदावन के निकट ऊंचागांव ले गए। वह राधा रानी से बड़ी थीं और उनकी सेवा में पूरी तरह समर्पित थीं। ललिता का स्वरूप हल्का पीला वर्ण और मोर के पंखों जैसे रंगीन वस्त्रों से सुशोभित बताया जाता है।

शास्त्रों में ललिता को राधा रानी का विस्तार माना गया है। उनकी भक्ति इतनी गहन थी कि स्वयं भगवान शिव ने उनसे सखीभाव की दीक्षा ली थी, ताकि वह राधा-कृष्ण की प्रेम लीलाओं में भाग ले सकें। कुछ मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने राधा-कृष्ण की प्रेम लीला में शामिल होने की इच्छा से ललिता सखी का रूप रखा था, क्योंकि पुरुष रूप में उनकी लीलाओं में प्रवेश संभव नहीं था।

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श्रीकृष्ण से ललिता सखी का संबंध

ललिता सखी का श्रीकृष्ण और राधा रानी के साथ गहरा और अनूठा संबंध था। वह न केवल राधा की प्रिय सखी थीं, बल्कि श्रीकृष्ण के प्रति भी गहरी भक्ति और प्रेम रखती थीं। शास्त्रों के अनुसार, ललिता राधा और कृष्ण की निकुंज लीलाओं की साक्षी थीं और उनकी सेवा में तत्पर रहती थीं। वह राधा-कृष्ण की प्रेम लीलाओं को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं, जैसे उनकी मुलाकात करवाना, उनके बीच संदेशवाहक बनना और उनकी लीलाओं को और मधुर बनाना आदि कार्यों को वे करती थीं।

ललिता का राधा के प्रति प्रेम इतना गहरा था कि वह हमेशा राधा का पक्ष लेती थीं, फिर चाहे वह श्रीकृष्ण के साथ उनके प्रेमपूर्ण विवादों की बात हो। श्रीकृष्ण भी ललिता की भक्ति और राधा के प्रति उनकी निष्ठा का सम्मान करते थे। शास्त्रों में उल्लेख है कि श्रीकृष्ण राधा के बाद यदि किसी की बात सबसे अधिक मानते थे या डरते थे, तो वह ललिता ही थीं। सूरदास जैसे भक्ति कवियों ने अपनी रचनाओं में ललिता को राधा की परम प्रिय सखी के रूप में चित्रित किया है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Aug 28, 2025 08:36 PM

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