Naga Sadhu: हिन्दू धर्म में संभवतः निर्वस्त्र यानी नग्न रहने के कारण साधुओं की एक विशेष जमात को नागा कहा जाता है, क्योंकि नग्न रहना नागा साधुओं की एक सबसे बड़ी पहचान है। साधुओं के इस खास वर्ग को उनकी कठिन तपस्या और युद्ध कला में पारंगत होने कारण भी जाना है। दरअसल, नागा साधुओं की दुनिया बहुत रहस्यमय है। वे कुंभ जैसे मेलों को छोड़कर सामान्य दिनों में बहुत कम दिखाई देते हैं और समाज से अलग रहकर तपस्या में लीन रहते हैं।
हिंदू संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं नागा साधु
ये भले समाज से अलग-थलग दिखते हैं, लेकिन सदियों से नागा साधु हिंदू संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे विभिन्न अखाड़ों से जुड़े होते हैं जिनकी परंपरा आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित की गई थी, जिसका उद्देश्य हिन्दू धर्म की परंपराओं को बचाए रखना है। लेकिन नागा साधुओं का जीवन बहुत कठिन होता है। इस जीवन को अपनाने वाले को अपना निजी जीवन, रिश्ते-नाते, पसंद-नापसंद सब छोड़ना पड़ता है।
नागा साधुओं के वस्त्र
नागा साधू आमतौर पर निर्वस्त्र रहते हैं और भस्म को ही अपना वस्त्र मानते हैं, लेकिन कुछ साधू लंगोट भी धारण करते हैं। यह देखा गया है कि जो नागा साधू लंगोट पहनते हैं, वे भांति-भांति के होते हैं। ये लंगोट वस्त्र के अलावा विभिन्न धातुओं जैसे पीतल, तांबा, चांदी और लोहे के होते हैं। यहां तक कि ये पत्थर लकड़ी के भी होते हैं।
कब पहनते हैं लकड़ी का लंगोट!
नागा साधु महान हठयोगी होते हैं। हठयोग के माध्यम से वे अपने शरीर पर नियंत्रण पाते हैं और कठोर परिस्थितियों में भी जीवित रहने की क्षमता विकसित करते हैं। हठयोग के कारण वे लकड़ी का लंगोट भी धारण कर लेते हैं। हालांकि यह कुछ विशिष्ट स्थितियों में, विशेषकर धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान, वे लंगोट पहनते हैं। लेकिन यह कोई नियम नहीं है। इसका एक मुख्य उद्देश्य यह भी है कि भक्तों को उनके पास आने में झिझक न हो, इसलिए भी वे लंगोट धारण कर लेते हैं। सच तो यह है कि इनका लंगोट को पहनना भी एक तप की तरह ही होता है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।