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Vivah Panchami 2025: विवाह के समय भगवान राम की उम्र क्या थी? जानें सीता स्वयंवर के दुर्लभ रोचक तथ्य

Vivah Panchami 2025: क्या आप जानते हैं कि भगवान राम और माता सीता का विवाह केवल एक पौराणिक कथा नहीं बल्कि दुर्लभ रहस्यों से भरी एक दिव्य घटना है? विवाह पंचमी 2025 पर जानिए, कैसे राम-सीता का मिलन स्वयंवर नहीं, बल्कि एक अद्भुत परीक्षा का परिणाम था. आइए जानते हैं, सीता स्वयंवर के दुर्लभ रोचक तथ्य.

Author Written By: Shyamnandan Author Published By : Shyamnandan Updated: Nov 8, 2025 13:51
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Vivah Panchami 2025: हर साल भगवान राम और माता सीता के विवाह की स्मृति में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष ‘विवाह पंचमी’ पर्व मनाया जाता है. इस साल यह पावन पर्व 25 नवंबर, 2025 को है. भगवान श्रीराम और माता सीता जन्म त्रेता युग में हुआ था. राम अयोध्या के राजा के पुत्र और सीता जनकपुर के राजा जनक की पुत्री थी. उन दोनों का मिलन एक स्वयंवर के माध्यम से हुआ था. राम और सीता का मिलन सिर्फ एक पौराणिक कथा नहीं, बल्कि अद्भुत घटनाओं से भरी एक दिव्य कहानी है.

हालांकि वाल्मीकि रामायण में इस घटना में स्वयंवर का अभाव बताया जाता है, इसका कारण यह था कि यहां स्वयंवर को एक शर्त या परीक्षा के रूप में दिखाया गया है, जहां भगवान राम ने गुरु विश्वामित्र के साथ मिथिला पहुंचकर शर्त पूरी की थी. आइए जानते हैं, राम-सीता स्वयंवर से जुड़े दुर्लभ और रोचक तथ्य.

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धनुष का नाम था ‘पिनाक’

जिस धनुष को श्रीराम ने तोड़ा था, वह भगवान शिव का प्रसिद्ध धनुष ‘पिनाक’ कहलाता था, न कि भगवान राम का अपना धनुष कोदंड.

यह ‘वीर-शुल्क’ था, स्वयंवर नहीं

राजा जनक ने घोषणा की थी कि जो भी शिवजी के धनुष को उठाकर प्रत्यंचा चढ़ा देगा, वही सीता से विवाह करेगा. इसे ‘वीर-शुल्क’ कहा गया यानी वीरता का मूल्य.

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छोटी सीता ने धनुष उठाया था

कहते हैं, बाल्यावस्था में सीता ने खेल-खेल में उस विशाल धनुष को उठा लिया था. तभी जनक ने प्रण लिया कि उनकी पुत्री का विवाह उसी से होगा जो इस धनुष को उठा सके.

राम ने धनुष उठाया ही नहीं, तोड़ भी दिया

वह धनुष एक विशाल लोहे के संदूक में रखा था. श्रीराम ने उसे आसानी से उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाते ही वह बीच से टूट गया.

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रावण की असफलता

कुछ लोककथाओं में कहा गया है कि रावण भी इस स्वयंवर में आया था, लेकिन वह धनुष को हिला तक नहीं सका और अपमानित होकर लौट गया.

लक्ष्मण का क्रोध

जब सभी राजा असफल रहे और जनक ने कहा कि पृथ्वी पर कोई वीर नहीं बचा, तो लक्ष्मण नाराज हो गए और बोले कि रघुवंशी अभी जीवित हैं.

परशुराम का आगमन

धनुष टूटने की आवाज़ सुनकर परशुराम क्रोधित होकर पहुंचे. उन्होंने राम से प्रश्न किए, जिनके उत्तर से उन्हें ज्ञात हुआ कि राम स्वयं विष्णु के अवतार हैं.

राम और सीता की आयु

कुछ परंपराओं के अनुसार, स्वयंवर के समय सीता की आयु लगभग 6 से 8 वर्ष और राम की 15 वर्ष के आसपास थी. यह उस युग की बाल-विवाह परंपरा को दर्शाता है.

जनक को परशुरामजी ने दिया था धनुष

पिनाक धनुष राजा जनक को परशुरामजी ने दिया था. परशुरामजी भी विष्णु के अवतार थे, जिन्होंने धरती से दुष्टों का अंत 21 बार किया था. परशुरामजी को यह धनुष भगवान शिव ने दिया था.

पिनाक धनुष के थे चार ज्ञाता

कथाओं के अनुसार, शिव के इस धनुष को चलाना केवल चार व्यक्तियों को आता था — शिव, विष्णु, परशुराम और राम. राम द्वारा इसे तोड़ना, इस शक्तिशाली अस्त्र के युग के अंत का प्रतीक था.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Nov 08, 2025 01:51 PM

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