Vijaya Ekadashi 2025: हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी कहा जाता है। सभी प्रकार की असफलताओं से जीवन के कष्टों से अगर आप छुटकारा चाहते हैं या ज्ञात-अज्ञात शत्रुओं पर विजय पाने के लिए विजया एकादशी का उपवास जरूर रखें। विजया एकादशी का उपवास हर कार्य में विजय दिलाता है। त्रेता युग में भगवान श्री राम ने लंका पर चढ़ाई से पहले सेतु बनाया और उसको बनाने से पहले उन्होंने विजया एकादशी का उपवास रखा था ऐसा पुराणों में बताया गया है।
धर्म की अच्छी खासी जानकारी रखने वाली नम्रता पुरोहित ने विजया एकादशी से संबंधित जानकारी दी है। आइए जानते हैं विजया एकादशी कब है? विजया एकादशी की पूजी विधि क्या है? विजया एकादशी के दिन क्या न करें? एकादशी तिथि का पारण कब और कैसे करते हैं?
कब है विजया एकादशी?
इस बार एकादशी तिथि की शुरुआत 23 फरवरी 2025 वार रविवार को दोपहर 1:55 पर होगी। इस तिथि की समाप्ति 24 फरवरी 2025 वार सोमवार को दोपहर 1:44 पर होगी,उदया तिथि के अनुसार 24 फरवरी, सोमवार को विजया एकादशी का उपवास रखा जाएगा।
विजया एकादशी का शुभ मुहूर्त?
- 24 फरवरी को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:11 से लेकर 6:01 तक रहेगा।
- विजय मुहूर्त 2:29 से लेकर 3:15 शाम तक रहेगा।
- अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 मिनट से लेकर 12:57 तक है।
- अमृत योग 2:07 शाम से लेकर 3:45 शाम तक रहेगा।
विजया एकादशी का उपवास और पूजा विधि?
- एकादशी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- सूर्य को अर्घ देने के बाद एक लकड़ी का पाटा या चौकी लगाकर उस पर पीला वस्त्र बिछाएं।
- गणेश जी के साथ-साथ भगवान श्री नारायण और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
- कलश स्थापित करें और भगवान को पीले पुष्प, पीले मिष्ठान और पंचामृत का भोग लगाएं।
- घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें और विष्णुसहस्त्रनाम के साथ ही साथ लक्ष्मी मंत्रों का जप करें।
- संभव हो तो निर्जल उपवास रखें ऐसा ना कर पाए तो फलाहार पर उपवास रख सकते हैं।
- शाम के समय तुलसी माता पर दीपक जरूर जलाएं।
विजया एकादशी के दिन क्या न करें।
- चावल न खाएं।
- तुलसी दल ना तोड़े।
- मांस या मदिरा का सेवन न करें।
- क्रोध न और किसी की निंदा न करें।
- तामसिक चीजों का प्रयोग न करें।
- काले या नीले कपड़ों का प्रयोग न करें और न पहनें।
ये भी पढ़ें- Mangal Margi 2025: 24 फरवरी से बदलेंगे 3 राशियों के दिन! मिथुन राशि में मंगल होंगे मार्गी
एकादशी तिथि पर क्या करें?
- मौन रहे या कम बोलें।
- श्री कृष्ण पर गुलाल चढ़ाएं।
- पीले वस्त्रों का प्रयोग करें।
- आंवले के पेड़ की पूजा करें।
- अनाज, वस्त्र, धन गौ दान करें।
- कुछ भी संभव न हो तो पुष्प दान दें।
- सफेद चंदन, गोपी चंदन का प्रयोग करें।
एकादशी तिथि का पारण कब और कैसे किया जाता है?
एकादशी तिथि का पारण दूसरे दिन द्वादशी तिथि पर करते हैं। इसलिए पारण का समय 25 फरवरी, मंगलवार को सुबह 6:50 से 9:08 रहेगा। द्वादशी तिथि समाप्त होने का समय 12:45 तक रहेगा। सुबह उठकर पूजा आदि करने के बाद कलश हटाकर व्रत खोला जा सकता है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।