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Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत पर भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां, नहीं तो सुहाग पर पड़ सकता है बुरा असर

Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते में विश्वास, प्रेम और त्याग का प्रतीक है। इस दिन किए गए सही कर्म और सही आचरण न केवल वर्तमान जीवन में सुख देते हैं, बल्कि भावी जन्मों के लिए भी सौभाग्य का द्वार खोलते हैं। वहीं कुछ गलतियों से इसके विपरीत और बुरे परिणाम भी हो सकते हैं। आइए जानते हैं, क्या हैं ये गलतियां?

Author Edited By : Shyamnandan Updated: May 25, 2025 13:02
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Vat Savitri Vrat 2025: विवाहित महिलाओं के लिए वट सावित्री व्रत बेहद महत्वपूर्ण और श्रद्धा से जुड़ा पर्व होता है। यह व्रत प्रेम, समर्पण और अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को यह व्रत रखा जाता है। इस बार वट सावित्री व्रत 26 मई 2025, सोमवार को है, जो इसे और भी खास बनाता है क्योंकि यह सोमवती अमावस्या के दिन पड़ रहा है। यह व्रत सत्यवान-सावित्री की पौराणिक कथा पर आधारित है, जिसमें सावित्री ने अपने तप, श्रद्धा और बुद्धिमत्ता से यमराज को अपने पति का जीवन वापस लौटाने के लिए मजबूर कर दिया था। इस दिन महिलाएं वट यानी बरगद वृक्ष की पूजा कर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

आपको बता दिन कि इस व्रत के बारे में माना जाता है कि इस व्रत का पूर्ण फल तभी प्राप्त होता है जब इसे पूरी निष्ठा और नियमों के साथ किया जाए। यहां हम आपको बता रहे हैं वट सावित्री व्रत के दिन की 5 सबसे आम लेकिन बड़ी गलतियां, जिन्हें करने से व्रत का फल निष्फल हो सकता है और आपके वैवाहिक जीवन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

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तामसिक भोजन से रहें दूर

इस दिन मांस, मछली, प्याज, लहसुन जैसी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। ये नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते हैं और व्रत की पवित्रता को भंग करते हैं। इस दिन सात्विक भोजन और फलाहार का ही सेवन करें।

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इन रंग के कपड़ों से बचें

व्रत के दिन काले या नीले रंग के कपड़े पहनना अशुभ माना जाता है। ये रंग नकारात्मकता का प्रतीक माने जाते हैं। इसके बजाय लाल, पीला या गुलाबी रंग पहनें, जो सौभाग्य, ऊर्जा और प्रेम का संकेत देते हैं।

न करें कठोर या रूखा व्यवहार

व्रत का भाव सेवा, संयम और प्रेम पर आधारित होता है। इस दिन किसी से झगड़ा करना, कटु भाषा बोलना या अपमान करना शुभ नहीं होता। शांत, सौम्य और श्रद्धा-पूर्ण व्यवहार रखें, विशेष रूप से अपने घर-परिवार के लोगों के साथ।

शरीर और मन की शुद्धता है जरूरी

व्रत का पालन सिर्फ बाहरी नियमों से नहीं, आंतरिक शुद्धता से भी होता है। सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, पूजा से पहले मोबाइल, टीवी आदि से दूरी बनाएं और पूजा के दौरान ध्यान केंद्रित रखें। मानसिक एकाग्रता और श्रद्धा से की गई पूजा ही फलदायी होती है।

पूजा विधि में न करें लापरवाही

व्रत की पूजा में सावधानी रखें। वट वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करें, सूत (कच्चा धागा) वृक्ष पर लपेटें और फल, फूल, दीप, रोली, अक्षत आदि से विधिवत पूजन करें। यदि संभव हो तो व्रत कथा भी सुनें या पढ़ें। पूजा के बाद सुहाग सामग्री का दान करना भी शुभ माना जाता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: May 25, 2025 01:02 PM

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