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सीता मैया का नाम ‘सीता’ कैसे पड़ा? सौभाग्य प्राप्ति के लिए Sita Navami 2024 पर करें 3 उपाय

Sita Navami 2024: वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को 'सीता नवमी' मनाई जाती है। साल 2024 में सीता नवमी 16 मई को पड़ रही है। माता सीता का जन्म होने के कारण इस दिन उनकी विशेष पूजा की जाती है। आइए जानते हैं, सीता नवमी के अवसर पर सौभाग्य, समृद्धि और जीवन में शांति के लिए किए जाने वाले कुछ खास उपाय।

Author Edited By : Shyamnandan Updated: May 14, 2024 09:59
Sita-Navami-2024

Sita Navami 2024: जहां चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को ‘राम नवमी’ मनाई जाती है, वहीं वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को ‘सीता नवमी’ पड़ती है। इस तिथि को माता सीता का जन्म हुआ था। साल 2024 में सीता नवमी 16 मई को मनाई जाएगी। यह दिन सुहागन महिलाओं सहित कुंवारी लड़कियों के लिए भी बहुत खास है। सुहागन महिलाएं जहां अपने पति के दीर्घायु होने के लिए व्रत रखती हैं, वहीं अविवाहित लड़कियां अच्छा पति पाने के लिए उपवास करती हैं।

ऐसे पड़ा सीता मैया का नाम ‘सीता’

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार मिथिला राज्य में बारिश नहीं होने से महान अकाल पड़ा। तब मिथिला के राजा जनक को राज-पुरोहित ने सलाह दिया कि यदि राजा स्वयं भूमि में हल चलाकर खेती करे, तो इंद्रदेव प्रसन्न होकर बारिश करेंगे। इस सुझाव को मानकर राजा जनक जब जमीन जोत रहे थे, तो हल की नोंक से धरती के अन्दर से एक घड़ा निकला। उस घड़े के अंदर एक दिव्य बालिका थी। राजा जनक ने उस बालिका को अपनी पुत्री बना लिया।

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हल की फाल से जुती हुई भूमि को ‘सीता’ कहते हैं, इसलिए राजा जनक ने उस बालिका का नाम ‘सीता’ रख दिया। राजा जनक की पुत्री होने के कारण माता सीता ‘जानकी’ भी कहलाती हैं। वहीं, मिथिला को ‘विदेह’ भी कहा गया है, विदेह के राजकुमारी होने कारण माता सीता का एक नाम ‘वैदेही’ भी है। मिथिला की बेटी होने कारण वे ‘मैथिली’ भी कही जाती हैं।

सीता नवमी पर करें ये उपाय

श्रृगार की वस्तुएं अर्पित करें

माता सीता से अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद पाने के लिए सीता नवमी को विधि विधान से व्रत रखें। देवी सीता को ‘षोडश श्रृंगार’ यानी श्रृगार की 16 वस्तुएं अर्पित करें। माता सीता की कृपा से आपका वैवाहिक जीवन खुशहाल रहेगा, पति दीर्घायु होंगे।

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खीर का भोग लगाएं

सीता नवमी के दिन माता सीता को मखाना के खीर का भोग लगाएं। इससे घर में धन-वैभव में वृद्धि होगी। माता सीता को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। देवी लक्ष्मी को मखाना बहुत पसंद है। बता दें, मिथिला का मखाना पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।

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कथा सुनें और दान-पुण्य करें

सीता नवमी के दिन पीले रंग के वस्त्र धारण कर ‘सीता-राम कथा’ सुनें। इससे सीता मैया के साथ भगवान राम भी प्रसन्न होंगे। कथा सुनने के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, पीले वस्त्र और धन दान करें। इससे जीवन में तरक्की होगी।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

First published on: May 14, 2024 08:40 AM

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