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Sheetala Ashtami 2025: 21 या 22 मार्च, कब है शीतला अष्टमी? जानें महत्व और पूजा विधि

होली के बाद शीतला अष्टमी का त्योहार आता है जिसे बसौड़ा भी कहा जाता है। आइए जान लेते हैं कि कब है शीतला अष्टमी? बसौड़ा व्रत की सही तारीख, इसका धार्मिक महत्व और मां शीतला की पूजा विधि।

Author Edited By : Hema Sharma Updated: Mar 18, 2025 09:55
Sheetala Ashtami
Sheetala Ashtami

होली के 8 दिन बाद शीतला अष्टमी आती है  जिसे बसौड़ा भी कहा जाता है। इस त्योहार का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन मां शीतला की पूजा-अर्चना की जाती है।  पंचांग के अनुसार चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी का व्रत किया जाता है। इस दिन मां शीतला को बासी खाने का भोग लगाया जाता है और घर में सुख-शांति के लिए प्रार्थना की जाती है। शीतला अष्टमी को लेकर लोगों के बीच में असमंजस बना हुआ है। ऐसे में पंचांग के अनुसार जान लेते हैं कि 21 या 22 मार्च कब है शीतला अष्टमी, उसका महत्व और पूजा विधि।

कब है शीतला अष्टमी?

शीतला अष्टमी को लेकर लोगों में असमंजस बना हुआ है। कोई 21 मार्च बता रहा है तो कोई 22 मार्च। पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानि 22 मार्च 2025 को शीतला अष्टमी मनाई जाएगी। जान लें कि 22 मार्च को सुबह 04 बजकर 23 मिनट से अष्टमी तिथि आरंभ हो जाएगी और उसका समापन 23 मार्च को सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर होगा।

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शीतला अष्टमी का क्या है महत्व

अब शीतला अष्टमी का महत्व क्या है ये भी जान लेते हैं। इस दिन बासी खाना बनाकर मां शीतला को उसका भोग लगाया जाता है। कहा जाता है कि शीतला अष्टमी के दिन आग नहीं जलाई जाती इसलिए रात में ही खाना बना लिया जाता है जिसका अगले दिन भोग लगाया जाता है। इसके पीछे की एक वजह ये भी बताई जाती है कि ठंडा खाना खाने से पेट को ठंडक मिलती है और पाचन तंत्र भी ठीक रहता है। शास्त्रों के अनुसार, मां शीतला अपने भक्तों की रोगों से रक्षा करती है, इसलिए लोग रोग-दोष से मुक्ति के लिए सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं।

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कैसे करें पूजा

अब ये जान लेते हैं कि मां शीतला की पूजा कैसे करनी चाहिए। इसके लिए सबसे पहले एक दिन पहले ही खाना तैयार कर लें। पूजा के लिए थाली में मीठी रोटी, चावल, मूंग की दाल, रोली, मोली, चावल, दीपक, धूपबत्ती, दही, चीनी, और जल लें। अब इन सभी सामग्री से मां शीतला की पूजा करें। शीतला स्त्रोत का पाठ करें जिससे रोग दूर हो जाएं। पूजा में इस्तेमाल किया हुआ जल सभी की आंखों में लगाएं। इस तरह से पूजा करने से सुख, समृद्धि एवं धन, वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Hema Sharma

First published on: Mar 18, 2025 09:23 AM

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