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Radha Ashtami: स्वर्ग लोक से मनुष्य योनि… देवी राधा को इस कारण मिला श्राप, जानें राधा अष्टमी से जुड़ी पौराणिक कथा

Radha Ashtami Vrat Katha: भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा रानी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस बार 11 सितंबर को राधा अष्टमी है। राधा जी के जन्म से जुड़े रोचक तथ्य के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं। आइए विस्तार से जानते हैं।

Edited By : Simran Singh | Updated: Sep 3, 2024 19:02
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Radha Ashtami 2024 vrat katha janam kahani
राधा अष्टमी की कहानी

Radha Ashtami Vrat Katha 2024: भगवान श्री कृष्ण के जन्म के 15 दिन बाद देवी राधा का भी जन्मदिन मनाया जाता है जिसे राधा अष्टमी के नाम से जाना जाता है। राधा रानी का जन्मदिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन देवी राधा के भक्त व्रत रखते हैं और घर और मंदिरों में श्री कृष्ण और राधा जी की पूजा-अर्चना करते हैं। इस साल राधा अष्टमी 11 सितंबर को मनाई जाएगी। राधा जी की जन्म कथा श्री कृष्ण के साथ उनके प्रेम कहानी की तरह ही बढ़ी रोचक है, आइए राधा अष्टमी से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में विस्तार से जानते हैं।

राधा अष्टमी से जुड़ी पौराणिक कथा

Radha Ashtami

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हिन्दू पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार एक दिन देवी राधा स्वर्ग लोक से कहीं बाहर चली गई। यह जानकर भगवान श्री कृष्ण विरजा नाम की सखी के साथ उद्यान में घूमने लगे। कुछ देर बाद जब देवी राधा स्वर्गलोक वापस आईं तो वह श्री कृष्ण को विरजा से साथ देखकर क्रोधित हो उठीं और क्रोध में ही उन्होंने विरजा को अपमानित कर दिया, जिसके बाद विरजा नदी के रूप में बहने लगी। देवी राधा का यह व्यवहार श्री कृष्ण के मित्र सुदामा को अनुचित लगा और वह देवी राधा को भला-बुरा कहने लगे।

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देवी राधा को मिला श्राप

सुदामा की बातें सुनकर राधा को गुस्सा आ गया और उन्होंने सुदामा को दानव योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया। उसके बाद सुदामा ने भी देवी राधा को मनुष्य योनि में जन्म लेने का श्राप दे दिया। शिव पुराण की कथा के अनुसार देवी राधा के श्राप के कारण सुदामा ने शंखचूड़ दानव के रूप में जन्म लिया, जिसका वध भगवान शिव के हाथों हुआ था।

Radha Ashtami

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वहीं, राधा रानी को सुदामा के श्राप के कारण पृथ्वी लोक पर मनुष्य के रूप में जन्म लेकर भगवान कृष्ण का वियोग सहना पड़ा। जबकि कुछ पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि द्वापर युग में जब श्री विष्णु ने भगवान कृष्ण के रूप में अवतार लिया तो उनकी पत्नी यानि माता लक्ष्मी ही देवी राधा के रूप में पृथ्वी पर आईं थीं।

राधा अष्टमी व्रत का महत्व

राधा अष्टमी व्रत का हिन्दू धर्म में बहुत ही महत्व है। इस दिन भक्तजन देवी राधा के नाम का व्रत रखते है और धूमधाम से श्री कृष्ण और देवी राधा की पूजा अर्चना करते हैं। शास्त्रों की मानें तो जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से इस दिन देवी राधा के लिए व्रत रखते हैं उनके जीवन में आर्थिक समस्याएं कभी भी नहीं आती है।

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ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन देवी राधा अपने भक्तों की सारी इच्छा भी पूर्ण करती हैं। धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि अगर आपको श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त करनी है तो देवी राधा के नाम का जाप करना होगा। इसके बिना आप इस भवसागर को पार नहीं कर सकते हैं।

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Edited By

Simran Singh

First published on: Sep 03, 2024 06:56 PM

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