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Rath Yatra 2025: 27 जून से शुरू होगी जगन्नाथ पुरी की रथ यात्रा, जानिए महाप्रभु की इस यात्रा से जुड़े 21 रोचक तथ्य

Rath Yatra 2025: ओडिशा के पुरी में शुक्रवार 27 जून, 2025 को आषाढ़ शुक्ल द्वितीया पर जगन्नाथ मंदिर की वार्षिक रथयात्रा शुरू होगी। यह यात्रा भक्ति, सेवा, कला और संस्कृति का संगम है, जिसमें शामिल होने से आध्यात्मिक ऊर्जा और मोक्ष की कामना होती है और इसे हजारों यज्ञों के समान पुण्यदायी माना जाता है। आइए जानते हैं, महाप्रभु की इस यात्रा से जुड़े 21 रोचक तथ्य।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Shyamnandan Updated: Jun 25, 2025 13:15
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Rath Yatra 2025: ओडिशा का पुरी शहर शुक्रवार 27 जून, 2025 से आस्था के महासागर में गोते लगाएगा। इस दिन आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है और इस तिथि जगन्नाथ मंदिर की वार्षिक रथयात्रा शुरू होती है। हिन्दू धर्म में रथयात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह भक्ति, सेवा, कला और संस्कृति का अद्भुत संगम है। इस यात्रा में शामिल होना केवल दर्शन या परंपरा नहीं, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, मोक्ष की कामना और आध्यात्मिक जागृति का अनुभव है। रथों का निर्माण अनेक समुदायों के सहयोग से होता है, जैसे विश्वकर्मा, बढ़ई, लोहार, माली, दर्जी, कुम्हार और चित्रकार। ऐसा माना जाता है कि रथयात्रा में शामिल होने या दर्शन करने से हजारों यज्ञों का पुण्य प्राप्त होता है। आइए जानते हैं, महा[प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की इस रथ यात्रा से जुड़े 21 रोचक तथ्य…

1. रथ यात्रा के लिए रथ निर्माण की शुरुआत हर साल अक्षय तृतीया के शुभ दिन से होती है, जिसे बेहद पवित्र और शुभ माना जाता है।

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2. भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों का निर्माण नीम की विशेष पवित्र लकड़ी से किया जाता है, जिसे “दर्शनिया दारु” कहा जाता है।

3. रथ बनाने की पूरी प्रक्रिया में लोहे की कोई कील नहीं लगाई जाती, केवल लकड़ी के खूंटों और जोड़ का उपयोग किया जाता है।

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4. हर साल तीन अलग-अलग रथ बनाए जाते हैं- भगवान जगन्नाथ के लिए ‘गरुड़ध्वज’ या ‘नंदीघोष’, बलभद्र के लिए ‘तालध्वज’ और सुभद्रा जी के लिए ‘पद्म रथ’ या ‘दर्पदलन’।

5. तीनों रथों का रंग अलग होता है। भगवान जगन्नाथ का रथ लाल-पीला, बलभद्र का लाल-हरा और सुभद्रा का रथ लाल-काला होता है।

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6. इन तीनों दिव्य रथों की ऊंचाई अलग-अलग होती है। भगवान जगन्नाथ का रथ 45.6 फीट, बलभद्र का रथ 45 फीट और सुभद्रा का रथ 44.6 फीट ऊंचा होता है।

7. भगवान जगन्नाथ के रथ में 16 पहिए होते हैं, जो इसकी भव्यता और मजबूती को दर्शाते हैं। वहीं, बलभद्र जी के रथ में 14 और सुभद्रा जी के रथ में 12 पहिए होते हैं।

8. पुरी के राजा हर साल यात्रा शुरू होने से पहले सोने की झाड़ू से रथ के सामने झाड़ू लगाते हैं, जिसे ‘छेरा पन्हारा’ कहा जाता है।

9. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन महाप्रभु जगन्नाथ की स्नान यात्रा होती है। इस दिन भगवान को 108 कलशों से स्नान कराया जाता है। स्नान के बाद महाप्रभु 15 समय के लिए अस्वस्थ हो जाते हैं।

10. इस 15 दिन की विश्राम अवधि को ‘अनासर’ कहा जाता है, जो भगवान की मानवीय अवस्था को दर्शाता है।

11. इस यात्रा के बाद भगवान 15 दिन तक ‘अनासर गृह’ में विश्राम करते हैं, जहां उन्हें औषधीय काढ़ा और इलाज दिया जाता है।

12. रथयात्रा, भगवान जगन्नाथ की मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर तक की यात्रा होती है, जो भक्तों के लिए बहुत भावनात्मक महत्व रखती है।

13. गुंडिचा मंदिर में भगवान के दर्शन को ‘आड़प-दर्शन’ कहा जाता है, जो सामान्य दर्शन से थोड़ा विशेष होता है।

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14. गुंडिचा मंदिर में मौसी के घर में महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की भांति-भांति के भोगों और व्यंजनों से जबरदस्त खातिरदारी की जाती है। इसके बाद महाप्रभु का पेट गड़बड़ हो जाता है।

15. पुरी के जगन्नाथ मंदिर की रसोई को दुनिया की सबसे बड़ी रसोई माना जाता है, जहां रोज हजारों लोगों के लिए भोजन बनता है।

16. पुरी के जगन्नाथ मंदिर में हर रोज महाप्रसाद तैयार होता है, जिसे ग्रहण करना बड़ा सौभाग्य माना जाता है।

17. महाप्रसाद की हांडियों में सबसे ऊपर रखी हांडी की भोजन सबसे पहले पकती है, यह अद्भुत रसोई की विशेषता है।

18. एक मान्यता यह भी है कि रथयात्रा के दिन वर्षा अवश्य होती है, चाहे मौसम कैसा भी हो, इसे भगवान की कृपा माना जाता है।

19. रथों को खींचने के लिए जिस विशेष रस्सी का उपयोग किया जाता है, इसका नाम ‘शंखचूड़’ है। इसे छूने मात्र से मोक्ष मिलता है।

20. रथ यात्रा में, सबसे आगे बलभद्र का रथ, फिर सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे महाप्रभु जगन्नाथ का रथ होता है.

21. इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ का महाअस्त्र सुदर्शन चक्र भी साथ होता है, जो देवी सुभद्रा के रथ पर होते हैं। बिना इसके यात्रा अधूरी मानी जाती है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jun 25, 2025 01:15 PM

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