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Mahakumbh 2025: 15 साल से इस महंत ने नीचे नहीं किया हाथ, जानें क्या है उर्ध्व बाहु साधना?

Mahant Someshwar Giri: साधु-संत अपनी कठोर साधना और तपस्या से गहरे आध्यात्मिक ज्ञान को प्राप्त करते हैं। कई साधनाएं तो ऐसी होती हैं, जिनके बारे में जानकर व्यक्ति दंग रह जाता है। आज हम आपको एक ऐसी ही साधना के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही कभी आपने पहले सुना होगा।

Edited By : Nidhi Jain | Updated: Dec 28, 2024 12:20
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Mahant Someshwar Giri
जिंदगीभर हाथ उठाए रखने की ली शपथ...

Mahakumbh 2025: प्रत्येक सनातनी के लिए महाकुंभ मेले का खास महत्व है। लंबे साल के इंतजार के बाद जब महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है, जो आमजन के अलावा देश के कोने-कोने से साधु-संत आते हैं। इस बार साल 2025 में संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ मेला लगने जा रहे है, जिसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से नागा साधु, महंत और श्रद्धालु गण आ रहे हैं। इसी कड़ी में महंत सोमेश्वर गिरी भी प्रयागराज पहुंच रहे हैं।

इस समय महंत सोमेश्वर गिरी की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि वो कोई आम साधना नहीं बल्कि बेहद कठिन उर्ध्व बाहु साधना कर रहे हैं। चलिए विस्तार से जानते हैं उर्ध्व बाहु साधना क्या है, जिसके तहत साधक को अपना एक हाथ नीचे करने की अनुमति नहीं होती है।

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कौन हैं महंत सोमेश्वर गिरी?

महंत सोमेश्वर गिरी की आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत बचपन से ही हो गई थी। उन्होंने बचपन में ही सांसारिक जीवन का त्याग करके बाल योगी बनने का संकल्प लिया था, जिसके बाद से उनका जीवन पूरी तरह से आध्यात्मिक मार्ग को समर्पित है, जो अन्य साधु-संत के लिए प्रेरणा स्रोत है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महंत सोमेश्वर गिरी ने 20 साल की उम्र में ‘उर्ध्व बाहु’ साधना को अपनाने का निर्णय लिया था। उन्होंने अपने दाहिने हाथ को ऊपर उठाकर शपथ ली थी कि वो कभी इसे नहीं नीचे करेंगे। आज से करीब 15 साल पहले उन्होंने ये शपथ ली थी, जिसका पालन वो जीवनभर करेंगे। बता दें कि अब महंत भारत के तमाम तीर्थ स्थलों और मंदिरों की यात्रा करते हैं।

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क्या है ‘उर्ध्व बाहु’ साधना?

‘उर्ध्व बाहु’ साधना बेहद कठिन है, जिसे “हाथ उठाना” के नाम से भी जाना जाता है। ये एक आध्यात्मिक और तपस्वी अभ्यास है, जिसमें साधक जीवनभर अपना एक हाथ उठाने की शपथ लेता है। इस साधना से साधक खुद को मानसिक और आध्यात्मिक चुनौती देता है। इससे साधक को अपने शरीर और मन की सीमाओं को पार करने में मदद मिलती है, जिससे उसे मानसिक शांति मिलती है और एकाग्रता शक्ति बढ़ती है। इसके अलावा साधक आत्म-ज्ञान की ओर अग्रसर होता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Nidhi Jain

First published on: Dec 28, 2024 12:20 PM

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