Pradosh Vrat 2025: भाद्रपद माह का अंत आगामी 7 सितंबर को होने जा रहा है। ऐसे में भाद्रपद का अंतिम और सितंबर का पहला प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा। सितंबर में भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी की शुरुआत 5 सितंबर की सुबह 4 बजकर 8 मिनट से होगी। यह तिथि 6 सितंबर की दोपहर 3 बजकर 14 तक रहेगी।
ऐसे में प्रदोष काल 5 सितंबर को होने के कारण व्रत भी इसी दिन रखा जाएगा। प्रदोष का दिन भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। इस दिन पूजन शाम के समय यानी प्रदोष काल में ही होता है। 5 सितंबर की शाम 6 बजकर 38 मिनट से रात 8 बजकर 55 मिनट तक प्रदोष काल रहेगा।
आप इस समय पर पूजन कर सकते हैं। इस बार प्रदोष शुक्रवार के दिन पड़ रहा है। इस कारण इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। इस कारण इससे प्रदोष व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
प्रदोष व्रत करने से मिलते हैं ये लाभ
प्रदोष व्रत को रखने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है। इसके साथ ही सुख व समृद्धि की कमी नहीं रहती है। इस दिन अगर रुद्राभिषेक कराया जाए तो भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। खास बात यह है कि इस बात प्रदोष व्रत के दिन शिववास भी है। इस कारण पूजन करने से जीवन के हर क्षेत्र में तरक्की भी मिलेगी।
ऐसे करें पूजन
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी सोकर उठें। इसके बाद नित्यकर्म से मुक्त होने के बाद पूजास्थल को साफ करें। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही होती है। इस कारण शाम के समय शिव मंदिर में जाएं और घी का दीपक जलाकर शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें। माता पार्वती को फल, मिठाई का भोग लगाते हुए श्रृंगार का सामान अर्पित करें। इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा और शिव चालीसा का पाठ करें। अंत में भगवान शिव की आरती करें। इसके बाद प्रसाद ग्रहण करके व्रत का पारण कर सकते हैं।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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